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लिवर को बाईपास करने से रोकेगी ईयूएस तकनीक, ब्रेन का रुकेगा कन्फ्यूजन

पहले खर्च होते थे डेढ़ से दो लाख, अब 20 हजार में हो जाएगा इलाज
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पीजीआई के डॉ. सहज राठी व उनकी टीम का शोध

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 23 मार्च

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सिरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लिवर में धीरे-धीरे खराबी आने लगती है। दीर्घकालिक क्षति के कारण लिवर सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाता है। इससे नसों में प्रेशर बढ़ता है और खून लिवर को बाईपास करके उल्टे रास्ते चल पड़ता है। ऐसी स्थिति को शंट कहा जाता है। शंट के कारण ब्रेन कन्फूयज हो जाता है। इस कारण लिवर में खून का प्रवाह कम हो जाता है और ब्लडिंग शुरू हो जाती है।

पीजीआई हेपेटोलॉजी विभाग ने गैस्ट्रिक वेरिसेस और हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी के प्रबंधन के लिए नवीन प्रक्रिया शुरू की है। पीजीआई के डॉ. सहज राठी और उनकी टीम द्वारा विकसित एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड-गाइडेड ट्रांसगैस्ट्रिक शंट ओब्लिटरेशन (ईटीएसओ) एक नयी तकनीक का इजाद किया गया है। पेट की नसों (गैस्ट्रिक वेरिसेस) से रक्तस्राव को प्रबंधित करने के लिए एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक से शंट को ढूंढ कर उसका इलाज किया जाता है। इसके बाद लीवर फिर से ठीक काम करने लगता है। पुरानी तकनीक काफी कारगर लेकिन जटिल थी। इसमें डेढ़ से दो घंटे लगते थे और खर्च भी डेढ़ से दो लाख रुपए आता था, लेकिन नयी तकनीक में 10 से 20 मिनट लगते हैं और खर्च भी 15 से 20 हजार रुपए आता है। डॉ. सहज राठी ने बताया कि यह तकनीक बिल्कुल नयी है। पीजीआई में अब तक करीब 20 मरीजों का इस तकनीक से इलाज किया जाता है।

20 से अधिक केसों में मिली सफलता : डॉ सहज

डॉ सहज राठी ने बताया कि इस तकनीक की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए इसे पहली बार 2022 में सैन डिएगो, यूएसए में प्रतिष्ठित पाचन रोग सप्ताह कांग्रेस में पेश किया गया था। इसके बाद टीम ने अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में एक हालिया वैज्ञानिक पेपर में सात मामलों के साथ अपने अनुभव प्रकाशित किए। आज तक टीम ने हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी के 12 से अधिक मामलों और गैस्ट्रिक वेरिसिस के 20 से अधिक मामलों में सफलतापूर्वक शंट को ठीक किया गया।

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