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आयुर्वेद को वैश्विक स्तर तक बढ़ाने के लिए चुनौतियों के समाधान पर जोर

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 21 अप्रैल (हप्र) पारंपरिक ज्ञान को मौजूदा स्वास्थ्य सेवा से जोड़ने की दिशा में श्री धनवंतरी आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल ने सोमवार को स्वर्ण जयंती समारोह के अंतर्गत सेंट्रल कौंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंसेज (सीसीआरएएस) के सहयोग...
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 21 अप्रैल (हप्र)

पारंपरिक ज्ञान को मौजूदा स्वास्थ्य सेवा से जोड़ने की दिशा में श्री धनवंतरी आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल ने सोमवार को स्वर्ण जयंती समारोह के अंतर्गत सेंट्रल कौंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंसेज (सीसीआरएएस) के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी - समवाय 2025 की शुरुआत की। कार्यक्रम में आयुर्वेद के प्रमुख विशेषज्ञ, चिकित्सक, शोधकर्ता और शिक्षाविद एकसाथ आए, जिन्होंने भारत के तेजी से विकसित हो रहे स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में आयुर्वेद के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श किया।

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विशेषज्ञों ने आयुर्वेद को वैश्विक स्तर तक बढ़ाने के लिए चुनौतियों के समाधान पर जोर दिया।

पहले सत्र में अजय चगती (आईएएस), सचिव, स्वास्थ्य, यूटी प्रशासन ने डॉ. नरेश मित्तल, महासचिव, श्री धनवंतरी एजुकेशनल सोसाइटी और डॉ. सुमित श्रीवास्तव, कॉलेज प्रिंसिपल की उपस्थिति में अध्यक्षता की। उन्होंने आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की अपनी समृद्ध विरासत व संभावनाएं हैं। हालांकि, इसे आज की क्लीनिकल डिमांड और वैज्ञानिक कठोरता को पूरा करने के लिए अपने में एडॉप्शन और इनोवेशन लानी होगी। एनआईपीईआर के निदेशक डॉ. दुलाल पांडा ने इस बात पर जोर दिया कि आयुर्वेद को वैश्विक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए साइंटिफिक वेलिडेशन, मजबूत क्वालिटी कंट्रोल और स्टैंडर्डडाइज फ़ॉर्मूलेशन्स पर मजबूत ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। सीसीआरएएस, नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एन श्रीकांत ने भी एक स्ट्रक्चर्ड मैकेनिज्म विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. मित्तल ने आयुर्वेदिक शिक्षा में नई पहल को अंजाम देने के लिए अपनी वचनबद्धता दोहराई।

सेमिनार में जे-टैकम को भी लॉन्च किया गया जो कि वैज्ञानिक शोध आधारित एक अग्रणी पत्रिका है। डॉ. महेंद्र बिश्नोई, डॉ. प्रसाद वी. भारतम, प्रोफेसर संजय जाचक, डॉ. बहेती रामजीवन, संदीप कुमार ने भी जानकारी दी। इससे पहले रविवार की रात को एलुमनाई मीट का भी आयोजन किया गया, जिसमें 2008 बैच के बाद के उत्तीर्ण छात्रों ने हिस्सा लिया।

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