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शैक्षिक लचीलेपन, अंतर विषय और कैरियर-उन्मुख शिक्षा पर जोर

‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : मान्यता और रैंकिंग’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित
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पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेनू विग को सम्मानित करते यूजीसी के संयुक्त सचिव जेके त्रिपाठी। साथ में हैं नैक के चेयरमैन गणेशन कन्नबिरन।  - दैनिक ट्रिब्यून
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चंडीगढ़ 1 मई (ट्रिन्यू)

‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : मान्यता और रैंकिंग’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला बृहस्पतिवार को संपन्न हाे गयी। समापन सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेनू विग ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान मान्यता और रैंकिंग तंत्र को अनुपालन-उन्मुख दृष्टिकोण से बदलकर गुणवत्ता, नवाचार और मापनीय परिणामों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने 2030 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए मान्यता अनिवार्य बनाने का आह्वान किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ-साथ वैश्विक मानदंडों के तहत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ अधिक संरेखण का आग्रह किया। प्रो. विग ने इस बात की सराहना की कि एनईपी 2020 जैसे नीतिगत सुधारों ने परिवर्तनकारी बदलाव पेश किए हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों और संस्थानों में कार्यान्वयन अलग-अलग है। उन्होंने विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम सुधारों के महत्व पर बल दिया जो राष्ट्रीय आवश्यकताओं और वैश्विक रुझानों के प्रति उत्तरदायी हों, तथा जिनमें शैक्षिक लचीलेपन, अंतःविषयता और कैरियर-उन्मुख शिक्षा पर जोर दिया जाए।

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नयी दिल्ली में दो दिवसीय बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) राष्ट्रीय कार्यशाला का जिम्मा शिक्षा मंत्रालय ने 64 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और सभी राज्यों के रूसा 2.0 के राज्य परियोजना निदेशकों को बारह अलग-अलग विषयगत क्षेत्रों को संबोधित करते हुए मसौदा पत्रों के सहयोगात्मक विकास का कार्य सौंपा था। पंजाब विश्वविद्यालय ने इसमें समन्वयक संस्थान की भूमिका निभायी, जबकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, गुजवि हिसार, गोंडवाना विश्वविद्यालय गढ़चिरौली और कन्नूर विश्वविद्यालय, कन्नूर भी इसके आयोजन में शामिल थे।

अनुसंधान के बुनियादी ढांचे में तत्काल निवेश का आह्वान

कुलपति प्रोफेसर विग ने अनुसंधान के बुनियादी ढांचे में तत्काल निवेश का आह्वान किया और नवाचार केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जो विश्वविद्यालयों को उद्योगों, अनुसंधान निकायों और स्टार्टअप से जोड़ेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों पर प्रशासनिक बोझ कम करने के लिए पूर्णतः सुसज्जित डिजिटल पुस्तकालयों, केंद्रीकृत शिक्षण प्रबंधन प्रणालियों और स्वचालित सेवाओं की वकालत की। प्रो. विग ने विश्वविद्यालयों को अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी उपस्थिति और प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता, वैश्विक सहयोग और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री मजूमदार ने किया उद्घाटन, धमेंद्र प्रधान ने समापन

प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के तहत आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नयी दिल्ली में किया। आज सत्र का समापन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के संबोधन के साथ हुआ। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए), नयी दिल्ली के सदस्य सचिव प्रोफेसर अनिल कुमार नासा और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) के निदेशक प्रोफेसर गणेशन कन्नबिरन ने की। सत्र के दौरान, डॉ. नासा ने दो मान्यता एजेंसियों अर्थात एनबीए और एनआईआरएफ के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने एनबीए के तहत तकनीकी और प्रबंधन कार्यक्रमों की मान्यता की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली पर चर्चा की। डॉ. अनिल ने एनआईआरएफ रैंकिंग ढांचे के बारे में भी बात की, जो 2015 में शुरू हुआ था और इसमें संस्थानों की केवल तीन श्रेणियां शामिल थीं। वर्तमान में, संस्थाओं की 11 श्रेणियां हैं जिनमें संस्थाएं भाग ले सकती हैं। इस मौके पर केंद्रीय िशक्षा मंत्रालय के अधिकारी एवं यूजीसी के संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।

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