पंचकूला सिविल अस्पताल में डॉ. हिमांशु भयाना की स्पोर्ट्स इंजरी क्लिनिक : खिलाड़ियों और आम मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 15 मई
पंचकूला के एक सरकारी अस्पताल में हर मंगलवार को जब डॉ. हिमांशु भयाना की ओपीडी लगती है, तो यह सिर्फ एक परामर्श कक्ष नहीं होता—यह उम्मीद की वह जगह बन जाती है जहां टूटे घुटनों, उखड़े जोड़ों और बिखरे आत्मविश्वास को नया सहारा मिलता है।
एक ऐसा क्रिकेटर, जो अपनी इंजरी के चलते खेल के मैदान से दूर हो गया था, अब मैदान में वापसी की तैयारी में है। वहीं, एक महिला जो तीन साल से चलने में असमर्थ थी, अब सामान्य जीवन में लौट रही है। इन दोनों कहानियों का केंद्र हैं—डॉ. हिमांशु भयाना, जिन्होंने पंचकूला सिविल अस्पताल सेक्टर-6 के स्पोर्ट्स इंजरी क्लिनिक को एक नई पहचान दी है।
क्लिनिक की स्थापना : सरकार और पीजीआई के साझे प्रयास का नतीजा
मार्च 2025 में हरियाणा सरकार और पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते (MoU) के तहत पंचकूला सिविल अस्पताल में स्पोर्ट्स इंजरी क्लिनिक की शुरुआत हुई। इस क्लिनिक के नोडल अधिकारी बनाए गए पीजीआई के ऑर्थोपेडिक्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु भयाना। वे हर मंगलवार को यहां मरीजों को निःशुल्क परामर्श और इलाज प्रदान करते हैं।
सफलता की मिसालें : मैदान में वापसी और दर्द से मुक्ति
क्रिकेटर कपिल की कहानी – फिर से बैट थामने की तैयारी
22 अप्रैल 2025 को इस क्लिनिक में पहला ऑपरेशन करनाल निवासी 33 वर्षीय क्रिकेटर कपिल का किया गया। एसीएल फटने और मेनिस्कस क्षतिग्रस्त होने के कारण वे पूरी तरह खेल से बाहर हो चुके थे। डॉ. हिमांशु ने उन्नत आर्थोस्कोपिक तकनीक से उनकी सर्जरी की। अब कपिल फिजियोथेरेपी के दौर से गुजर रहे हैं और मैदान में वापसी की तैयारी में हैं।
रेनू की कहानी – फिर लौट आई मुस्कान
तीन वर्षों से गंभीर घुटने की समस्या से जूझ रही रेनू को चलना भी मुश्किल हो गया था। उनके घुटने में बार-बार लॉकिंग और असहनीय दर्द की समस्या थी। क्लिनिक में उन्हें मेनिस्कस बैलेंसिंग और आर्थोस्कोपी से उपचार मिला। अब वे बिना सहारे चल रही हैं और जीवन सामान्य हो चुका है।
विशेषज्ञता, अनुभव और समर्पण का संगम : डॉ. हिमांशु भयाना![]()
डॉ. हिमांशु भयाना पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के ऑर्थोपेडिक्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने एमएस (ऑर्थो), डीएनबी और एमएनएएमएस की डिग्रियां हासिल की हैं। उनका फोकस घुटने और कंधे की स्पोर्ट्स सर्जरी, आर्थ्रोस्कोपी और ऑर्थोपेडिक ट्रॉमा मैनेजमेंट में है।