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क्या आंतों के बैक्टीरिया तय करते हैं आपकी सेहत? PGI चंडीगढ़ की प्रोबायोटिक संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने किए चौंकाने वाले खुलासे

पीजीआई चंडीगढ़ में 15वीं इंडिया प्रोबायोटिक संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने इस पर गहराई से की चर्चा
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 23 फरवरी

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क्या आपकी सेहत सिर्फ आपकी डाइट और लाइफस्टाइल पर निर्भर करती है या फिर इसके पीछे कोई और बड़ी वजह छिपी है? वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे शरीर के अंदर कई खरब बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो न केवल पाचन तंत्र, बल्कि मोटापा, डायबिटीज, मानसिक स्वास्थ्य, नींद और हृदय रोगों तक को प्रभावित कर सकते हैं। पीजीआई चंडीगढ़ में 15वीं इंडिया प्रोबायोटिक संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने इस पर गहराई से चर्चा की और कई चौंकाने वाले तथ्यों को सामने रखा।

गर्भ में ही तय हो जाती है सेहत?

अब तक माना जाता था कि गर्भाशय और मां का दूध पूरी तरह से कीटाणु-मुक्त होते हैं, लेकिन हाल के शोध बताते हैं कि गर्भ में ही शिशु का पहला परिचय सूक्ष्मजीवों से हो जाता है। ये बैक्टीरिया भविष्य में बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता, एलर्जी, मोटापा और मानसिक स्वास्थ्य तक को प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि यदि गर्भावस्था के दौरान मां की आंतों का माइक्रोबायोटा असंतुलित हो, तो इसका प्रभाव सीधे शिशु की इम्यूनिटी और मेटाबोलिज्म पर पड़ सकता है। यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं को प्रोबायोटिक्स और स्वस्थ आहार लेने की सलाह दी जाती है।

मल से इलाज-एक नया विज्ञान!

आपने ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब फीकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट (FMT) यानी स्वस्थ व्यक्ति के मल में मौजूद बैक्टीरिया को बीमार व्यक्ति की आंतों में डालकर इलाज किया जा रहा है? विशेषज्ञों का कहना है कि यह पद्धति क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल संक्रमण (Clostridium difficile infection) को ठीक करने में कारगर साबित हो रही है। इसके अलावा, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और ऑटोइम्यून बीमारियों में भी यह संभावित इलाज के रूप में देखा जा रहा है।

आंतों के बैक्टीरिया से बदल सकती है आपकी जिंदगी!

शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर गट माइक्रोबायोटा (आंत में मौजूद बैक्टीरिया) को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो कई बीमारियों से बचाव संभव है।

गट माइक्रोबायोटा का प्रभाव किन-किन बीमारियों पर पड़ता है?

1. मोटापा और डायबिटीज – शोध बताते हैं कि कुछ खास प्रकार के बैक्टीरिया शरीर में फैट स्टोरेज को बढ़ा सकते हैं, जिससे मोटापा और डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है।

2. मानसिक स्वास्थ्य – आंतों के बैक्टीरिया से उत्पन्न होने वाले कुछ विशेष कंपाउंड्स मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

3. हृदय रोग – गलत बैक्टीरिया प्रोफाइल से शरीर में सूजन (Inflammation) बढ़ सकती है, जो हृदय रोगों का कारण बन सकती है।

4. नींद संबंधी विकार – विशेषज्ञों ने बताया कि गट माइक्रोबायोटा से मेलाटोनिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन प्रभावित होते हैं, जो नींद की गुणवत्ता को निर्धारित करते हैं।

भविष्य में डॉक्टर से ज्यादा अहम होंगे बैक्टीरिया?

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में डॉक्टर से ज्यादा आपके आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया आपकी सेहत के लिए जिम्मेदार होंगे। यह कहना गलत नहीं होगा कि जो व्यक्ति अपने गट माइक्रोबायोटा को खुश रखेगा, वही भविष्य में सबसे स्वस्थ रहेगा।

गट माइक्रोबायोटा को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?

1. प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स को अपने आहार में शामिल करें।

2. फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें, क्योंकि ये खराब बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं।

3. फाइबर युक्त आहार, दही, छाछ, केफिर और किमची जैसे फर्मेंटेड फूड का सेवन करें।

4. स्ट्रेस को कम करें, क्योंकि तनाव भी गट माइक्रोबायोटा को प्रभावित करता है।

5. पर्याप्त नींद लें और नियमित व्यायाम करें।

क्या कहता है विज्ञान?

तकनीक के विकास के साथ 16S राइबोसोमल RNA से पूरे जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing) तक की तकनीकों से हमें यह समझने में मदद मिली है कि ये सूक्ष्मजीव हमारी सेहत और बीमारियों में कितनी अहम भूमिका निभाते हैं।

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