देश जाने का सपना संजोए युवाओं को झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने वाले इमिग्रेशन एजेंट एक बार फिर चंडीगढ़ में सक्रिय हो गए हैं। वर्ष 2025 के पहले छह महीनों में ही ऐसे 79 मामलों का दर्ज होना इस बढ़ते खतरे की गंभीरता को उजागर करता है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि सेक्टर-17 अब इस संगठित अपराध का मुख्य केंद्र बन चुका है, जहां 47 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। पुलिस ने अब तक 28 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन जालसाजी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। प्रशासन अब इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए एक विशेष कानून लाने की तैयारी में है।
फरेब का फॉर्मूला : सपनों के बदले झूठे दस्तावेज
पुलिस जांच में सामने आया है कि एजेंट बेरोजगार युवाओं को विदेश में नौकरी, स्टडी वीजा या स्थायी निवास (पीआर) दिलाने का झांसा देकर मोटी रकम वसूलते हैं। आमतौर पर एक लाख रुपये से 25 लाख रुपये तक लिए जाते हैं। बदले में दिए जाते हैं फर्जी जॉब ऑफर लेटर, झूठे एंबेसी अपॉइंटमेंट और नकली ट्रैकिंग नंबर, जिससे पीड़ितों को काफी देर से ठगे जाने का अहसास होता है।
करोड़ों की ठगी, रिकवरी शून्य
अप्रैल-जून 2025 के दौरान दर्ज मामलों के आधार पर अनुमान है कि कुल ठगी की राशि 6 करोड़ रुपये से अधिक है। मगर अब तक न तो ठगी की रकम की कोई उल्लेखनीय रिकवरी हुई है और न ही सभी आरोपी पकड़े जा सके हैं। कई बैंक खातों की जांच और मनी ट्रेल की तलाश जारी है।
सील फर्में दोबारा चालू मिलीं
चंडीगढ़ पुलिस ने जून 2025 में व्यापक स्तर पर अभियान चलाया।
11 जून को सेक्टर 8 और 9 में छापेमारी कर अवैध दफ्तरों को बंद किया गया।
13 से 20 जून के बीच पहले से सील की गई कई फर्मों को दोबारा ऑपरेट करते पाया गया।
15 जून को सेक्टर 17 और 36 से चार एजेंट – गगनदीप सिंह, राहुल अरोड़ा, अंकुश माहाजन और करण शर्मा को गिरफ्तार किया गया।
इन एजेंटों पर बिना लाइसेंस संचालन, डीएम आदेश की अवहेलना और पुनः ठगी में सक्रियता जैसे आरोप हैं।
पुलिस की चेतावनी और नागरिकों को सलाह
चंडीगढ़ पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे केवल गृह मंत्रालय (एमईए) से पंजीकृत और मान्यता प्राप्त एजेंटों से ही संपर्क करें। नकद लेन-देन से बचने, सभी कागजों की वैधता जांचने और किसी भी प्रकार की संदेहास्पद गतिविधि पर तत्काल शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी गई है।
ब्लैकलिस्टेड फर्मों की सूची और आंकड़े
पुलिस ने अप्रैल-जून 2025 के बीच कई फर्मों को काली सूची में डाला।
वर्ल्ड वॉक इमिग्रेशन, सेक्टर 17 – 70 लाख रुपये से अधिक की ठगी
विश इमिग्रेशन कंसल्टेंट, सेक्टर 17 – 49 लाख रुपये
माय इमिग्रेशन सॉल्यूशन, सेक्टर 17 – 48.26 लाख रुपये
प्लैनेट गाइड ओवरसीज़, सेक्टर 22 – 50.7 लाख रुपये
पवी टाउन इंटरनेशनल, सेक्टर 34 – 35 लाख रुपये
इसके अलावा कुल 18 एजेंसियों पर 2 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी के आरोप हैं। ये आंकड़े चंडीगढ़ में इमिग्रेशन फर्मों की साख पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
नये कानून की जरूरत
तेज़ी से बढ़ रहे इमिग्रेशन फ्रॉड के मामलों और मौजूदा कानूनी प्रक्रियाओं की सीमाओं को देखते हुए अब प्रशासन इस दिशा में एक विशेष कानून लाने पर विचार कर रहा है, जो सिर्फ चंडीगढ़ के लिए लागू होगा और इस तरह की धोखाधड़ी पर प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।