Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

नकदी जज के द्वार : आखिर किसके थे 15 लाख

सभी आरोपी बरी, लेकिन रकम का रहस्य बरकरार
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement
रामकृष्ण उपाध्याय/ ट्रिन्यूचंडीगढ़, 4 अप्रैल

जज के दरवाजे पर नकदी मामले में जस्टिस (सेवानिवृत्त) निर्मल यादव सहित सभी आरोपियों को चंडीगढ़ स्थित सीबीआई अदालत बरी कर चुकी है, लेकिन 17 साल पहले जांच के दौरान सीबीआई द्वारा जब्त किए गये 15 लाख रुपये का रहस्य अभी भी अनसुलझा है। यह रकम किसकी थी? यह सवाल बरकरार है।

Advertisement

हरियाणा के तत्कालीन अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल का क्लर्क प्रकाश राम 13 अगस्त, 2008 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की तत्कालीन न्यायाधीश निर्मलजीत कौर के आवास पर एक प्लास्टिक बैग लेकर पहुंचा था। जब बैग खोला गया, तो उसमें नोट भरे हुए थे। जस्टिस निर्मलजीत कौर के निर्देश पर पुलिस को बुलाया गया और चंडीगढ़ पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने प्रकाश राम को बैग के साथ हिरासत में ले लिया। चंडीगढ़ सेक्टर-11 के थाना प्रभारी रमेश चंद शर्मा ने बैग जब्त कर लिया और नोटों की गिनती की, जो कुल 15 लाख रुपये पाए गये। चंडीगढ़ पुलिस द्वारा 16 अगस्त, 2008 को केस दर्ज करने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने 26 अगस्त, 2008 को जांच सीबीआई को सौंप दी थी। चंडीगढ़ पुलिस ने सभी दस्तावेजों के साथ 15 लाख रुपये की धनराशि भी सीबीआई को सौंप दी थी, जो अब भी सीबीआई के मालखाने में पड़ी हुई है।

जांच पूरी होने पर सीबीआई ने आरोप-पत्र में दावा किया था कि बैग जस्टिस निर्मल यादव के लिए था, लेकिन दोनों जजों के नाम में समानता होने के कारण गलती से बैग जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंचा दिया गया। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि एक आरोपी रविंदर सिंह ने संजीव बंसल को पैसे दिए थे, ताकि वह संपत्ति के मामले में अनुकूल फैसला सुनाने के लिए जस्टिस निर्मल यादव को दे सकें। हालांकि, सभी आरोपियों ने दावा किया कि सीबीआई ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया है। बचाव पक्ष के एक वकील हितेश पुरी ने कहा कि आरोप-पत्र फर्जी सबूतों के आधार पर दाखिल किया गया और इसके लिए कोर्ट ने सीबीआई की खिंचाई की है।

नोट लाने वाले राम प्रकाश को नहीं बनाया गया गवाह

सीबीआई ने इस मामले में नोट पहुंचाने वाले प्रकाश राम को न तो गवाह बनाया और न ही आरोपी। पुरी ने कहा कि यह केवल सीबीआई ही जानती है कि यह रकम किसकी है, क्योंकि अदालत को आरोप-पत्र में नामित व्यक्तियों के साथ इसका कोई संबंध नहीं मिला।

Advertisement
×