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रचनात्मकता-कल्पनाशीलता का विकल्प नहीं एआई : शोभा डे

अरुण नैथानी/ ट्रिन्यू चंडीगढ़ 22 फरवरी चर्चित संपादक व लेखन के जरिये नए विमर्श गढ़ने वाली लेखिका शोभा डे का मानना है कि हमें हर परिवर्तन का स्वागत करना चाहिए। परिवर्तन नई दृष्टि देते हैं। उन्होंने कहा कि वह एआई...
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चंडीगढ़ स्थित चितकारा इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित तीसरे चितकारा लिट फेस्टिवल में पहुंचीं लेखिका शोभा डे व अन्य मेहमान। -ट्रिन्यू
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अरुण नैथानी/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़ 22 फरवरी

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चर्चित संपादक व लेखन के जरिये नए विमर्श गढ़ने वाली लेखिका शोभा डे का मानना है कि हमें हर परिवर्तन का स्वागत करना चाहिए। परिवर्तन नई दृष्टि देते हैं। उन्होंने कहा कि वह एआई क्रांति से कतई विचलित नहीं हैं। मशीन मनुष्य की मालिक नहीं बन सकती। एआई कभी नैसर्गिक रचनात्मकता और कल्पनाशीलता का विकल्प नहीं बन सकती।

शोभा डे चंडीगढ़ स्थित चितकारा इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में तीसरे चितकारा लिट फेस्टिवल के समापन समारोह में बोल रही थीं। 77 वर्ष की उम्र में निरंतर सृजनरत शोभा डे ने ऊर्जावान व विचारोत्तेजक संबोधन में छात्रों को अपनी सृजन यात्रा, रचनात्मक अभिव्यक्ति और उनके सृजन के विवादों से लेकर कोर्ट-कचहरी के अनुभवों से रूबरू कराया।

उल्लेखनीय है कि बीस फरवरी से चितकारा यूनीवर्सिटी के पंजाब व हिमाचल परिसरों में आयोजित चितकारा लिट फेस्ट के तीसरे संस्करण में देश के विभिन्न भागों से आए साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, कहानीकारों व संस्कृतिकर्मियों ने छात्रों से सीधा संवाद किया। साथ ही बौद्धिक बहस, रचनात्मकता और संस्कृति के सरोकारों से साहित्यिक मेले को सार्थकता प्रदान की।

इससे पूर्व प्रथम सत्र में मशूहर सिने तारिका व लेखिका लीजा रे ने अपनी पुस्तक की चर्चा की। उन्होंने कैंसर से जंग में अपनी जीत में ऊंचे मनोबल, सकारात्मकता, योग व आध्यात्मिक शक्ति की भूमिका से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। उन्होंने सृजनशीलता की प्रक्रिया और हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों से मुकाबले गुर भी नई पीढ़ी को बताए।

समापन समारोह के दूसरे सत्र में फिल्म अभिनेत्री और लेखिका कल्कि कोचलिन ने अपनी फिल्मी यात्रा और सृजन के सरोकारों पर चर्चा की। फ्रेंच, अंग्रेजी, तमिल व हिंदी जानने वाली कल्कि ने मातृत्व से जुड़े अनछुए पहलुओं पर केंद्रित अपनी पुस्तक की चर्चा की। साथ ही कई वर्जित विषयों पर बेबाकी से विचार रखे।

जिन जानी-मानी हस्तियों ने इस साहित्य महोत्सव में रचनात्मक भागेदारी की. उनमें कवि व स्टोरी टेलर नीलेश मिश्रा, संध्या मृदुल, दिव्य प्रकाश दुबे ने प्रभावी ढंग से कहानी की अभिव्यक्ति पर चर्चा की। स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट प्रिया मलिक व निधि नरवाल ने काव्य विधा को जीवंत किया। वहीं लेफ्टीनेंट जनरल केजेएस ’टाइनी’ ढिल्लों(अ.प्र) व डॉ. थॉमस मैथ्यू ने लीडरशिप, रेजीलेंस और विरासत से जुड़े प्रेरक व्याख्यान दिए। प्रत्येक सत्र में विद्यार्थियों से सीधे संवाद के जरिये विभिन्न विषयों पर गहन विमर्श किया गया।

लिट फेस्ट में वक्ताओं ने प्रभावी संबोधन के अतिरिक्त पैनल चर्चा और बुक साइनिंग कार्यक्रम में भी शिरकत की। साहित्य मेले को सृजन उपयोगी स्टॉलों, इंटरैक्टिव सत्रों व खुले मचों ने जीवंतता प्रदान की। इसके साथ ही छात्रों ने विभिन्न साहित्यिक और रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय भागेदारी की।

यूनिवर्सिटी की प्रो चांसलर डा. मधु चितकारा ने कहा कि लिट फेस्ट ने छात्रों के विचारों को नई उड़ान दी,कहानियों को नये अर्थ दिए और उन्हें साहित्य जुड़ाव के लिये प्रेरित किया। छात्रों, शिक्षकों और साहित्य की जानी मानी हस्तियों ने संवाद, रचनात्मकता और बौद्धिक विमर्श से सृजन के सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।

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