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PGI में ABI वर्कशॉप- ब्रेन सर्जरी में नयी क्रांति, सुनने की जगाई उम्मीद

ब्रेनस्टेम इम्प्लांट सर्जरी का लाइव प्रदर्शन
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 19 जनवरी

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क्या मस्तिष्क की जटिल सर्जरी से जन्म से बहरे लोग भी सुन सकते हैं? क्या नई तकनीक जीवन को नई दिशा दे सकती है? चंडीगढ़ के पीजीआई में आयोजित ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट (ABI) वर्कशॉप के दूसरे दिन इन सवालों का जवाब न केवल मिला, बल्कि चिकित्सा जगत को नयी राह दिखाई। यह वर्कशॉप उन्नत तकनीकों और विशेषज्ञता का अनूठा संगम बनकर उभरी, जिसने मरीजों के लिए सुनने की नई उम्मीदें जगा दी हैं।

दूसरे दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कैडैवरिक डेमोंस्ट्रेशन, जहां पद्मश्री डॉ. मोहन कमेश्वरन और जर्मनी के प्रो. रॉबर्ट बहर ने ब्रेनस्टेम इम्प्लांट सर्जरी का लाइव प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन ने प्रतिभागियों को उन्नत तकनीकों के हर चरण को करीब से समझने का मौका दिया।

मास्टरक्लास : सर्जरी से सुनने तक की पूरी प्रक्रिया

दिन के सबसे अहम सत्र में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने कैंडिडेसी चयन, इंट्रा-ऑपरेटिव eABR परीक्षण और पुनर्वास तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की। चेन्नई के एमईआरएफ के रंजीत, ऑस्ट्रिया के मारेक पोलाक और पीजीआई के डॉ. संजय मुंजाल ने अपने व्याख्यानों से यह समझाया कि सही तकनीक का इस्तेमाल कैसे मरीज की सर्जरी को सफल बना सकता है।

नयी तकनीक ने आसान किया नामुमकिन को"

कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष प्रो. रमनदीप विर्क ने कहा कि ब्रेनस्टेम इम्प्लांट सर्जरी में नई तकनीक का इस्तेमाल मरीजों की जिंदगी को पूरी तरह बदल सकता है। यह वर्कशॉप हमारे सर्जनों को इस जटिल प्रक्रिया में दक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

देशभर के विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव

एम्स दिल्ली, एम्स ऋषिकेश, एम्स जोधपुर, एसजीपीजीआई लखनऊ और कोकिलाबेन अस्पताल मुंबई जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ सर्जन और ऑडियोलॉजिस्ट्स ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रतिभागियों ने कहा कि इस वर्कशॉप ने उन्हें तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं में आत्मविश्वास भी दिया।

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