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पीजीआई में 90 पद मंजूर, सारंगपुर प्रोजेक्ट का होगा विस्तार

पीजीआई संस्थान निकाय की बैठक में बड़े फैसले
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 17 मई

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पीजीआई चंडीगढ़ अब इलाज ही नहीं, चिकित्सा, शिक्षा और शोध का राष्ट्रीय केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की अध्यक्षता में 16 मई को हुई संस्थान निकाय की बैठक में ऐसे फैसले लिए गए, जो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदल सकते हैं। बैठक में चंडीगढ़ के सारंगपुर में 100 बेड का मेडिकल कॉलेज, एडवांस्ड कैंसर संस्थान, ट्रॉमा सेंटर और ओपीडी यूनिट स्थापित करने की योजना को गति देने के निर्देश दिए गए। इस विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए गए। यह परियोजना न केवल चिकित्सा सेवाओं को विस्तारित करेगी, बल्कि प्रशिक्षण और शोध के नए अवसर भी खोलेगी। साथ ही पीजीआई में 80 सीनियर रेजिडेंट्स, 4 फैकल्टी सदस्य और 6 डेमोंस्ट्रेटर समेत कुल 90 नए पदों को मंजूरी दी गई है।

इसके अलावा लंबे समय से लंबित तकनीकी संवर्ग के गठन को भी स्वीकृति मिली। छह स्तरीय कैडर संरचना लागू होने से तकनीकी कार्यों में दक्षता बढ़ेगी और संस्थान का संचालन और सुदृढ़ होगा। फिरोजपुर स्थित सेटेलाइट सेंटर को पूरी तरह क्रियाशील बनाने के लिए 111 फेकल्टी और 526 नॉन-फैकल्टी समेत कुल 637 पद स्वीकृत किए गए। इससे न केवल क्षेत्रीय मरीजों को राहत मिलेगी।

ऑपरेशन सिंदूर में पीजीआई की सेवाएं मिसाल बनीं

बैठक की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पीजीआई की भूमिका की प्रशंसा की। संकट की घड़ी में संस्थान ने तत्परता से 5 एंबुलेंस, 218 यूनिट रक्त और विभिन्न राज्यों से डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और एंबुलेंस चालकों की बहुविषयक टीम भेजी। मंत्री ने इसे ‘राष्ट्रीय सेवा की सच्ची भावना’ करार दिया।

पीजीआई को हरसंभव सहयोग का भरोसा

बैठक के समापन पर केंद्रीय मंत्री ने पीजीआईएमईआर की प्रगति पर संतोष जताते हुए कहा कि सरकार संस्थान को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा, शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाएं देने के हर प्रयास में सहयोग करती रहेगी।

‘विजन-2047 की तैयारी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पीजीआई को चिकित्सा, शिक्षा, अनुसंधान और जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने के लिए ‘विजन-2047’ दस्तावेज तैयार करने को कहा। इस रणनीतिक योजना के तहत अकादमिक कार्यक्रमों, अधोसंरचना और समुदाय आधारित सेवाओं को नई ऊंचाई देने की रूपरेखा बनेगी।

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