कुलदीप सिंह /निस
मोहाली, 20 मई
पंजाब सरकार ने न्यू चंडीगढ़ के मास्टर प्लान के तहत गांव मुल्लांपुर गरीबदास (जिला एसएएस नगर) में 309 एकड़ जमीन को लो-एवं हाई-डेंसिटी आवासीय प्रोजेक्ट्स के लिए अधिग्रहीत करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम राज्य के नए शहरी केंद्र को योजनाबद्ध विकास की दिशा में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है। जानकारी के अनुसार जमीन अधिग्रहण का कार्य भूमि प्राप्ति, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 की धारा 4 के तहत 15 नवंबर 2022 की अधिसूचना द्वारा शुरू किया गया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (लुधियाना) द्वारा तैयार की गई सामाजिक प्रभाव रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि यह प्रोजेक्ट आम लोगों के हित में है
और इसके लाभ सामाजिक लागतों से कई गुना अधिक हैं। विशेषज्ञ समूह ने भी इस भूमि की मात्रा को ‘न्यूनतम और आवश्यक’ बताते हुए प्रोजेक्ट को हरियाली के साथ संतुलित विकास की मिसाल बताया है।
सरकार ने धारा 11 के तहत 6 नवंबर 2024 को अधिसूचना जारी की, जो 9 नवंबर 2024 को समाचार पत्रों और गमाडा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई। पुनर्वास योजना के तहत प्रभावित परिवारों को 5 लाख रुपये की वन-टाइम एन्यूटी, 50,000 रुपये पुनर्वास भत्ता और रजिस्ट्री फीस व स्टाम्प ड्यूटी की पूरी भरपाई दी जाएगी। इस योजना को 29 फरवरी 2025 को अंतिम मंज़ूरी मिल गई है। अधिनियम की धारा 19 के तहत सरकार ने स्पष्ट किया है कि जमीन का कब्ज़ा शीघ्र लिया जाएगा।
न्यू चंडीगढ़ का विस्तार - ईको सिटी-3 के लिए 713 एकड़ और ज़मीन
न्यू चंडीगढ़ के गांव रसूलपुर, सलामतपुर, ढोडेमाजरा, तकीपुर, राजगढ़, माजरा, करतारपुर, कंसाला और होशियारपुर में 713.3750 एकड़ ज़मीन को ईको सिटी-3 आवासीय योजना के लिए चिन्हित किया गया है। इन क्षेत्रों को भी रीसेटलमेंट जोन घोषित किया गया है और इन्हें राइट टू फेयर कंपेंसेशन एक्ट 2013 के तहत अधिग्रहित किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट न्यू चंडीगढ़ को एक विश्व-स्तरीय शहर के रूप में विकसित करने की गमाडा की रणनीति का अहम हिस्सा है। इससे न केवल लोगों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त आवास मिलेगा, बल्कि क्षेत्र का आर्थिक स्तर भी ऊपर उठेगा।