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दिगंबर और श्वेतांबर जैन समुदाय का श्रद्धा केंद्र

अंतरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर

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अंतरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शिरपुर गांव में स्थित है। यह प्राचीन जैन तीर्थ स्थल भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है और अपनी अद्वितीय हवा में तैरती मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और धार्मिक महत्व इसे श्रद्धालुओं के लिए विशेष बनाते हैं।

चमत्कारी अंतरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर या श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ स्वामी दिगंबर जैन मंदिर महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में शिरपुर (सिरपुर) गांव में स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है। यह मंदिर 23वें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है और अपनी चमत्कारी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

इतिहास और महत्व

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यह मंदिर अत्यन्त प्राचीन माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसका निर्माण त्रेतायुग में हुआ था और इसे ऐल नरेश श्रीपाल ने बनवाया था, जो जैन धर्म के कट्टर अनुयायी थे। शिलालेखों के अनुसार बाद में 16वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। मंदिर की मूर्ति को लेकर यह विश्वास है कि यह भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।

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चमत्कारी मूर्ति

इस मंदिर की सबसे खास विशेषता भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति है, जो जमीन से एक अंगुल ऊपर हवा में तैरती हुई प्रतीत होती है। यह मूर्ति बिना किसी सहारे के अधर में स्थित है, जिसे गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देने वाला चमत्कार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि दिगंबराचार्य श्रुतकेवली भद्रबाहु स्वामी ने सात दिन के उपवास के बाद इस मूर्ति को सूरी मंत्र प्रदान किया था, जिससे यह मूर्ति और भी चमत्कारी और पवित्र हो गई।

कुष्ठ रोग का इलाज

श्रद्धालुओं की मान्यता है कि मंदिर के पास स्थित कुएं का जल कुष्ठ रोग को ठीक करने की शक्ति रखता है। ऐल श्रीपाल ने इसी जल से अपनी बीमारी ठीक होने के बाद मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर तीन मंजिलों वाला है, जिसमें ऊपरी मंजिल में तीन वेदियां हैं। मंदिर की छत और चौक में दिगंबर शैली में बनी मूर्तियां इसकी विशेषता हैं। मंदिर में प्रवेश द्वार पर शिलालेख मौजूद हैं, जो इसकी प्राचीनता और महत्व को दर्शाते हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मंदिर की विशेषता यह है कि यह दिगंबर और श्वेतांबर दोनों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर मुख्य रूप से दिगंबर जैन समाज का है, यहां ध्वजारोहण का अधिकार केवल दिगंबर जैन समाज को है। लेकिन श्वेतांबर जैन समाज को भी पूजा-दर्शन के लिए सीमित समय दिया गया है। दोनों संप्रदायों के बीच पूजा के समय को लेकर समझौता हुआ है। यह मंदिर जैन धर्म के दस लक्षण पर्व जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों का केंद्र है। हाल ही में 2025 में दस लक्षण पर्व के दौरान यहां तीर्थ रक्षा संस्कार शिविर आयोजित किया गया था। मंदिर के पास एक जलाशय (कुआं) है, जो इसकी पवित्रता का हिस्सा माना जाता है। मंदिर की मूर्ति को ‘अंतरिक्ष मूर्ति’ कहा जाता है, जो इसकी अनूठी विशेषता को दर्शाता है। अंतरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि वास्तुकला और चमत्कारों का प्रतीक भी है। इसकी हवा में तैरती मूर्ति और प्राचीन इतिहास इसे विश्व भर में प्रसिद्ध बनाते हैं। यह तीर्थ स्थल भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और चमत्कारों का केंद्र है।

आचार्य विद्यासागर जी का चातुर्मास

वर्ष 2022 में आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज जी का चातुर्मास इस तीर्थ क्षेत्र में आयोजित हुआ था, जिसने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

कैसे पहुंचें

यह चमत्कारी मंदिर शिरपुर, तहसील मालेगांव, बुलढाणा जिला, महाराष्ट्र में स्थित है। यहां नागपुर और अमरावती जैसे प्रमुख शहरों से आराम से पहुंचा जा सकता है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए मंदिर को रामटेक, कामठी, कौडण्यपुर, और मुक्तागिरी जैसे अन्य जैन तीर्थों के साथ जोड़ने वाला चार-दिवसीय यात्रा चार्ट यहां उपलब्ध है।

आधुनिक विकास

वर्ष 2023 में, लगभग 42 वर्षों के बाद जैन संघ को इस मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति को स्पर्श करने और पूजन का अवसर प्राप्त हुआ, जो एक ऐतिहासिक घटना थी।

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