एक समय सम्राट कृष्णदेव राय ने विजयनगर को खूबसूरत बनाने के लिए प्रजा पर अत्यधिक कर लगा दिये। उन्होंने देश-विदेश से कुशल कारीगर, शिल्पी, माली बुलवाकर सुंदर बगीचे, महल और मंदिर बनवाये। उन्होंने आदमियों से पूछा इसमें कोई कमी रह गई हो तो बतायें। नगर के एक आदमी ने कहा, ‘महाराज, आप खुद चल कर देख लीजिए।’ सम्राट कृष्णदेव राय खुद नगर की सड़क पर घूमने चल दिए लेकिन जहां उनके आने पर जनता की भारी भीड़ एकत्रित होती थी और पुष्पों की वर्षा होती थी वहां आज कोई भी नजर नहीं आ रहा था। इसका कारण पूछने पर सम्राट को ज्ञात हुआ कि विजयनगर को सुंदर बनाने के लिए करों में की गई भारी वृद्धि से प्रजा का जीवन दूभर हो गया है। तब सम्राट कृष्णदेव राय ने तत्काल कहा, ‘बढ़ाये गये कर वापस लिये जाते हैं। जब प्रजा जीवन का सुंदर नहीं रहेगा तो विजयनगर की सुंदरता का क्या महत्व है?’
प्रस्तुति : मुकेश शर्मा