Vinayak Chaturthi: विनायक चतुर्थी आज, जानें भगवान गणेश की पूजा विधि व मंत्र
Vinayak Chaturthi: आज विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) है। विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है। श्रद्धालु इस दिन गणेश जी...
Vinayak Chaturthi: आज विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) है। विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है। श्रद्धालु इस दिन गणेश जी की आराधना, व्रत और पूजा के माध्यम से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी कष्टों का नाश होता है और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल पर लाल या पीले वस्त्र से आच्छादित चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान को चंदन, रोली, कुमकुम, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल) और दूर्वा अर्पित करें। गणेश जी को मोदक, लड्डू, गुड़ और शुद्ध घी का भोग लगाएं। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। तत्पश्चात विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) की कथा का पाठ करें और आरती करें। दिनभर उपवास रखकर सायंकाल में चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें। अंत में प्रसाद का वितरण करें।
शास्त्री के अनुसार मान्यता है कि भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और सफलता का प्रतीक माना गया है। विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के दिन की गई उपासना जीवन से विघ्नों और संकटों को दूर करती है। इस व्रत से घर में सुख, वैभव और ऐश्वर्य का आगमन होता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करने वाले भक्तों को भगवान गणेश धैर्य, विवेक और ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं। इस पावन अवसर पर अन्न और धन का दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
Panchang 25 October 2025: राष्ट्रीय मिति कार्तिक 03, शक संवत् 1947
विक्रम संवत् 2082
मास एवं पक्ष कार्तिक, शुक्ल पक्ष
सूर्य स्थिति दक्षिणायण
तिथि चतुर्थी (अर्धरात्रोत्तर 05:49 तक), उपरांत पंचमी आरंभ
वार शनिवार
अंग्रेजी तिथि 25 अक्टूबर 2025 ई.
सौर मास कार्तिक मास प्रविष्टे 09
सूर्य की स्थिति दक्षिणायण, दक्षिण गोल
ऋतु हेमंत ऋतु
नक्षत्र अनुराधा (प्रातः 07:52 तक), उपरांत ज्येष्ठा
योग शोभन योग (अगले दिन सूर्योदय से)
करण वणिज करण (दोपहर 02:35 तक), उपरांत बव करण
राहुकाल प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक
विजय मुहूर्त दोपहर 01:57 से 02:42 बजे तक
निशीथ काल रात्रि 11:40 से 12:31 बजे तक
गोधूलि बेला सायं 05:42 से 06:07 बजे तक
चन्द्र राशि वृश्चिक
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

