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जीत के ऊपर जीत

एकदा
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पेशवा के राजा नाना फडणवीस का चारित्रिक शील बहुत ऊंचे दर्जे का था। जब खरड़ा की लड़ाई में नाना फडणवीस से हारकर निजाम गढ़ी में छिप गया था और उसकी बेगमें महल से बाहर रह गई थीं। मराठों ने सारी बेगमों को बंदी बनाकर उन्हें नाना फडणवीस के सामने पेश किया। नाना फौरन अपने सिपाहियों को डांटते हुए बोले, ‘हमारी लड़ाई निजाम के साथ है, न कि उनकी बीवियों से। इन देवियों को अभी निजाम के पास उसके महल में वापस पहुंचा दो!’ नाना फडणवीस के इस चरित्र बल के सामने शर्मिंदा सिपाही तुरंत उन बंदी बनाई गईं बेगमों को वापस महल में छोड़ आये। बेगमों ने नाना फडणवीस के इस चारित्रिक शील की प्रशंसा करते कहा कि नाना की यह जीत के ऊपर एक और जीत है।

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