इंग्लैंड के प्रसिद्ध साहित्यकार-नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शा अनूठे ‘जीव-जंतु’ प्रेमी थे। वे कहते थे ‘जानवर मेरे दोस्त हैं और मैं अपने दोस्तों को नहीं खाता।’ वह मांसाहारी भोजन से कोसों दूर रहते थे और पूर्णतया शाकाहारी भोजन लेते थे। एक बार जार्ज बर्नार्ड गम्भीर रूप से बीमार पड़ गए। चिकित्सा कर रहे डॉक्टरों ने स्वस्थ होने के लिए अंडे और मांस का शोरबा लेने की सलाह दी। जिसे जार्ज ने तुरंत मना कर दिया। चिकित्सकों ने कहा कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई, तो मृत्यु अवश्यम्भावी है। यह सुनते ही जॉर्ज बर्नार्ड ने अपनी वसीयत लिखवाने के लिए एक वकील को बुलाया। अपनी वसीयत में जॉर्ज बर्नार्ड ने लिखा ‘मेरी मृत्यु के पश्चात, जब मेरे शव को कब्रिस्तान ले जाया जाए तो मेरी अंतिम यात्रा में जल-थल-नभ में रहने वाले विभिन्न जीव जंतु-पक्षी, भेड़े, मेमने, गाय, मछलियां आदि उपस्थित रहे, और इन सबके गले में एक कार्ड बंधा हो, जिस पर लिखा हो हे प्रभु! हमारे शुभचिंतक जार्ज बर्नार्ड पर दया करना, जिन्होंने दूसरे जीवों की प्राण रक्षा के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।’ वसीयत लिखने के तुरंत बाद जॉर्ज ने अपना भौतिक शरीर छोड़ दिया।
प्रस्तुति : मधुसूदन शर्मा