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तृतीय-चंद्रघंटा

नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। साधक के सारे सांसािरक कष्ट मिटते हैं अौर मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त का मन मणिपूर चक्र...

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नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। साधक के सारे सांसािरक कष्ट मिटते हैं अौर मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां की कृपा से उसे अलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है। विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनायी देती हैं। मां चंद्रघंटा के भक्त मां की भक्तिपूर्वक आराधना करते हैं व इस श्लोक का पाठ करते हैं-

'पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्रकैर्युता।

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प्रसाद तनुते मह‍्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।’

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