एक समय एक संत अपने अनुयायियों की एकता और अखंडता पर संगोष्ठी कर रहे थे। तब वहां उपस्थित एक व्यक्ति ने पूछा कि आप हमें संगठित रहने के लिए कह रहे हैं वो किस तरह संभव है? कृपया मुझे समझाएं। संत उसे बाहर ले गए और वहां बैठे हुए कुत्तों को पत्थर से डराने को कहा। उस व्यक्ति के पत्थर फेंकने से कुत्ते वहां से भाग गये। फिर संत ने आश्रम में लगे मधुमक्खी के छत्ते को पत्थर मारने के लिए कहा, उस व्यक्ति ने जैसे ही पत्थर उछाला वैसे ही बहुत सारी मधुमक्खियों ने उस व्यक्ति पर हमला बोल दिया। अब वह व्यक्ति डर के मारे अंदर की तरफ भागने लगा, तो संत ने कहा वत्स! तुमने देखा कि एकता में कितना दम है। एक तरफ तो कुत्ते असंगठित थे जो भाग गए और दूसरी तरफ मधुमक्खियां, जिन्होंने संगठित होकर तुम्हें भगा दिया। ध्यान रखो कि एकता में ही शक्ति है।
प्रस्तुति : संदीप भारद्वाज
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