कॉलिन विल्सन की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें सोलह वर्ष की उम्र में पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ा। उन्होंने कुछ समय तक ऊन बनाने के कारखाने में काम किया, फिर किसी प्रयोगशाला में सहायक बन गए। पढ़ाई पूरी न कर पाने की निराशा उनके मन पर हावी होने लगी। एक दिन उन्होंने आत्महत्या करने का निर्णय लिया। वे सायनाइड खाने जा रहे थे, तभी उनके मन में एक विचार आया। उन्होंने महसूस किया कि उनके भीतर दो कॉलिन विल्सन हैं — एक जो परिस्थितियों से निराश है और दूसरा जो विचारशील, समर्थ और सक्षम है। इस अनुभव ने उनके जीवन के नए द्वार खोल दिए। उन्होंने आत्महत्या का विचार त्याग दिया और अपनी प्रतिभा के विकास में जुट गए। आगे चलकर वे एक प्रसिद्ध लेखक बने और विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, पर हमें परिस्थितियों से हार नहीं माननी चाहिए।
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