ग्रैंडमास्टर अक्षर
योग के अभ्यास से न केवल हमारे आध्यात्मिक स्वास्थ्य को लाभ होता है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। मन और शरीर के साथ-साथ योग तकनीकों का आत्मा पर भी प्रभाव पड़ता है। यह हमारी आत्मा को विकसित करने और चेतना को बढ़ाने में मदद करता है। हमारी आत्मा का विकास तब होता है, जब हम जीवन के रहस्यों को समझने के लिए आध्यात्मिक स्तर पर मन और शरीर से परे जाते हैं ताकि हम एक शक्तिशाली, सकारात्मक और प्रभावशाली जीवन जी सकें।
योग के अभ्यास से हमारा शरीर जब एक विशिष्ट संरेखण में आता है तो परिणामस्वरूप हमारे व्यवहार एवं धारणा में एक सकारात्मक परिवर्तन होता है। सभी आसनों को साधना माना जाता है, कुछ विशिष्ट आसन हैं जो आध्यात्मिकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, शीर्षासन, पद्मासन, सिद्ध वॉक जैसे अभ्यास और सिद्धोहम क्रिया जैसी ध्यान तकनीक शामिल हैं। इन योग तकनीकों की मदद से हम स्वयं को आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ बेहतर तरीके से जोड़ सकते हैं।
प्रवाह के साथ जाने में मदद : आध्यात्मिकता आंतरिक शांति और आत्मविश्वास की भावना लाती है। यह हमारे मन व हृदय से तनाव और सांसारिक चिंताओं को दूर करती है। अध्यात्म हमें स्वाभाविक रूप से आशावादी बनाता है। हमारी आत्मा हमारी मार्गदर्शक होती है और हम स्वाभाविक रूप से उन सभी चीजों की ओर उन्मुख हो जाते हैं। अध्यात्म हमें यह विश्वास दिलाता है कि जो हमारा है वह हमें अवश्य मिलेगा और इस विश्वास के साथ हम जीवन को स्वच्छंद जीने में सक्षम होते हैं।
स्वीकृति की शक्ति में वृद्धि : जब हम अध्यात्म के मार्ग पर होंगे तब हमें बोध होने लगता है कि सब कुछ हमारे विकास और लाभ के लिए होता है। जीवन में कोई संयोग नहीं है और जीवन के सभी अनुभव उच्च चेतना की प्राप्ति के लिए सबक के रूप में जुड़ते हैं। अध्यात्म जीवन में होने वाली हर व्याख्या को शांति और समभाव की भावना के साथ स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। जब हम स्वयं एवं आस-पास के लोगों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, तब हम तनाव और चिंता से भर जाते हैं। अध्यात्म नियंत्रण की भावना को त्यागने में मदद करता है, इसलिए हम अधिक निर्देशित अवस्था का आनंद लेते हैं।
बढ़ाता है जागरूकता : अध्यात्म का अभ्यास करने वाले अन्य की तुलना में वर्तमान क्षण से अधिक जुड़े होते हैं। अध्यात्म की इस यात्रा में हम प्रत्येक क्रिया के प्रति अधिक सचेत रहते हैं। इस उच्च स्तर की जवाबदेही के साथ हमें बोध रहता है कि हमारे किए प्रत्येक कार्य या कदम का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। अध्यात्म हमें इस सचेतन की अवधारणा को अधिक समग्र रूप से समझने और इसे अपने जीवन में पूरी तरह से लागू करने में मदद करता है।
कृतज्ञता में खुशी : जब हम खुश होते हैं, तो हम आनंदमय चित्त की स्थिति को प्राप्त करने में अधिक सक्षम होते हैं। जीवन में कृतज्ञता व्यक्त करने की आदत डालने से हम खुश रह सकते हैं। कृतज्ञता व्यक्त करने से संतोष की भावना बढ़ती है और प्रत्येक क्षण पूर्ण महसूस होता है।
अध्यात्म चारों ओर सकारात्मकता की आभा लाता है, जो हमें किसी भी परिस्थिति में सुरक्षित रखता है।
(बातचीत पर आधारित)