एक बार किशोर चेखव की माताजी को सिलाई मशीन के अभाव में हाथ से रूमाल तैयार करके ग्राहक को देने पड़े। सारी रात सिलाई करने से उनकी दुखती आंखों का हाल बुरा था। उसी पल चेखव ने अपने एक जूनियर को मेडिकल कालेज की तैयारी में मदद करके आमदनी बढ़ाने का संकल्प कर लिया। इक्कीस साल की आयु में वह एक सशक्त कथाकार और चिकित्सा-विज्ञान में हुनरमंद हो चुके थे। महान कथाकार अंतोनी चेखव के प्रशंसक अक्सर उनसे कुछ जानना और सीखना चाहते थे। वह हमेशा यही सीख देते कि विश्वास वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में भी प्रकाश फैलाया जा सकता है। हम बाहर की चुनौतियों से नहीं, बल्कि अपने अंदर की कमजोरी से हारते हैं। हमारी सोच का ही फर्क होता है, वरना समस्याएं आपको कमजोर नहीं मजबूत बनाने आती हैं।
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