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स्वावलंबी बादशाह

एकदा

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गुलाम-वंशीय नासिरुद्दीन बादशाह धर्मनिष्ठ था। आजीवन उसने राजकोष से एक भी पैसा न लेकर अपनी हस्तलिखित पुस्तकों से जीवन-निर्वाह किया। मुसलमान शासकों के रिवाज के विपरीत उसके एक ही पत्नी थी। घरेलू कार्यों के अलावा रसोई भी स्वयं बेगम को बनानी पड़ती थी। एक बार रसोई बनाते समय बेगम का हाथ जल गया तो उसने बादशाह से कुछ दिन के लिए रसोई बनाने के लिए नौकरानी रख देने की प्रार्थना की। मगर बादशाह ने यह कहकर बेगम की प्रार्थना अस्वीकार कर दी कि राजकोष पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। वह तो प्रजा की ओर से मेरे पास धरोहर मात्र है। अपने कुटुंब के भरण-पोषण के लिए स्वयं कमाना चाहिए। जो बादशाह स्वावलंबी न होगा, उसकी प्रजा भी अकर्मण्य हो जायेगी। अतः मैं राजकोष से एक पैसा भी नहीं ले सकता और मेरे हाथ की कमाई सीमित है। उससे तुम्हीं बताओ, नौकरानी कैसे रखी जा सकती है? प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार

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