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Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी आज, भगवान विष्णु की पूजा से मिलेगी सफलता

Saphala Ekadashi 2025: आज यानी 15 दिसंबर को सफला एकादशी है। यह एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष में आती है और भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से भगवान...

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Saphala Ekadashi 2025: आज यानी 15 दिसंबर को सफला एकादशी है। यह एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष में आती है और भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन के अधूरे कार्य पूर्ण होते हैं और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है, इसलिए इसे सफला एकादशी कहा गया है।

पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार पुराणों और शास्त्रों में सफला एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और घर में सुख-शांति व समृद्धि बनी रहती है। जो लोग लंबे समय से परेशानियों, रुकावटों या असफलताओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह एकादशी अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

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सफला एकादशी की पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित कर उन्हें पीले फूल, चंदन, धूप, दीप, फल, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। पूजा में 21 तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं। इसके बाद तुलसी की माला से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें और विष्णु सहस्रनाम या एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।

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मंत्र और पारण समय

मंत्र:

– ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

– ॐ नमो नारायणाय

विष्णु गायत्री मंत्र:

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्

पारण समय: सफला एकादशी का पारण 16 दिसंबर 2025 को सुबह 7:07 बजे तक शुभ रहेगा।

Panchang 15 December 2025: राष्ट्रीय मिति मार्गशीर्ष 24

शक संवत 1947

विक्रम संवत 2082

मास (चंद्र) पौष

पक्ष कृष्ण

तिथि एकादशी

वार सोमवार

सौर मास पौष (प्रविष्टे 01)

अंग्रेजी तिथि 15 दिसंबर 2025

सूर्य स्थिति दक्षिणायन

गोल दक्षिण गोल

ऋतु हेमन्त

पर्व सफला एकादशी

राहुकाल प्रातः 07:30 से 09:00 बजे तक

एकादशी तिथि समाप्ति रात्रि 09:20 बजे तक

द्वादशी तिथि आरंभ रात्रि 09:20 बजे के बाद

नक्षत्र चित्रा (पूर्वाह्न 11:09 बजे तक)

अगला नक्षत्र स्वाति (11:09 बजे के बाद)

योग शोभन (मध्याह्न 12:30 बजे तक)

अगला योग अतिगण्ड (12:30 बजे के बाद)

करण वणिज (प्रातः 08:04 बजे तक)

अगला करण कौलव (08:04 बजे के बाद)

विजय मुहूर्त दोपहर 02:00 से 02:41 बजे तक

निशीथ काल रात्रि 11:48 से 12:43 बजे तक

गोधूलि बेला सायं 05:24 से 05:51 बजे तक

चंद्र राशि तुला (दिन-रात)

डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

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