Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

मनुष्य की जड़ें

एकदा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चीन में एक छोटा लड़का अपनी दादी के साथ रहता था। दादी ने घर के पास एक सुंदर बगीचा लगा रखा था। एक दिन दादी बीमार हो गईं, तो उन्होंने अपने पोते से कहा कि वह बगीचे की देखभाल करे।अगले दिन जब दादी थोड़ी ठीक हुईं और बगीचे में गईं, तो देखा कि पौधे मुरझाए हुए हैं। उन्होंने हैरानी से पोते से पूछा, ‘बेटा, तुमने पौधों को पानी क्यों नहीं दिया?’ पोते ने मासूमियत से जवाब दिया, ‘दादी! मैंने हर पौधे की पत्तियां अच्छे से पोंछी थीं और उनकी जड़ों में रोटी के टुकड़े भी डाले थे।’ दादी मुस्कराईं और बोलीं, ‘बेटा, पेड़-पौधे रोटी के टुकड़ों से नहीं, उनकी जड़ों में पानी देने से बढ़ते हैं। बाहरी सफाई से नहीं, अंदर की जड़ों को पोषण देने से जीवन मिलता है।’ लड़का थोड़ी देर सोच में पड़ गया। फिर उसने दादी से पूछा, ‘दादी, क्या मनुष्य की भी कोई जड़ होती है?’ दादी ने कहा, ‘हां बेटा, मनुष्य की जड़ उसका ‘मन’ और ‘साहस’ होता है। जब हम अपने मन को हर दिन साहस और सकारात्मक सोच से सींचते हैं, तभी हम जीवन में मजबूत बनते हैं।’ इस बात का उस लड़के पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसने निश्चय किया कि वह अपने मन की जड़ों को साहस और मेहनत से सींचेगा। यही बालक आगे चलकर चीन क निर्माता माओत्से तुंग बना।

Advertisement
Advertisement
×