लेखक जार्ज बर्नाड शा को एक बार दावत में आमंत्रित किया गया। संयोगवश उस दिन वे काम में काफी व्यस्त थे। जब दावत का समय हो गया तो मेजबान के निमंत्रण का सम्मान करते हुए, सीधे ही उस दावत में पहुंच गये। मेज़बान ने उनको कहा, ‘जार्ज साहब, यहां पर इतने बड़े-बड़े मेहमान आपसे मिलने के लिए आये हुए हैं और आप ऐसे ही यहां चले आये। आपको पहले घर जाना चाहिए था और कपड़े वगैरह बदल कर तरोताजा होकर फिर दावत में आना चाहिए था।’ जार्ज साहब ने कहा, ‘छोड़ो, अब तो मैं आ ही गया हूं।’ लेकिन मेज़बान ने उनकी एक न चलने दी और अपने ड्राइवर के साथ उनको घर भेज दिया। जब जार्ज साहब वापस तैयार होकर आये तो मेज़बान ने उनका स्वागत किया और उनसे जलपान के लिए अनुरोध किया। जार्ज तो जैसे इसी मौक़े की ताक में थे। उन्होंने अपने कपड़ों पर शराब उड़ेलना चालू कर दिया, उसके बाद एक-एक करके खाने और पीने के सभी चीजों को अपने कपड़ों पर ही उड़ेलने लगे। मेज़बान तुरंत जार्ज साहब के पास पहुंचा और बोला, ‘जार्ज साहब अाप क्या कर रहे हैं?’ तब जार्ज साहब हंसकर बोले, ‘अरे भाई, गौर से सुनो, तुमने मुझे तो बुलाया नहीं है, इस दावत में मेरे कपड़ों को बुलाया है तो खाना-पीना तो उन्हीं को खिलाऊंगा न?’ मेजबान शर्म से पानी-पानी हो गया। प्रस्तुति : पूनम पांडे