Punjab Travelling : श्री सोढल मंदिर में ऐसे हुआ मेले की शुरुआत, 300 साल पुराना इस ऐतिहासिक मंदिर का इतिहास
Punjab Travelling : श्री सोढल मंदिर में ऐसे हुआ मेले की शुरुआत, 300 साल पुराना इस ऐतिहासिक मंदिर का इतिहास
चंडीगढ़, 17 फरवरी (ट्रिन्यू)
Punjab Travelling : बाबा सोढल मंदिर ऐसी पवित्र भूमि पर स्थित है, जो इतिहास से समृद्ध है। पंजाब के जालंधर में स्थित सोढल मंदिर, उन पूजनीय हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है, जिसने वर्षों से अनगिनत श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। यह मंदिर बाबा सोढल को समर्पित है। जालंधर के इस ऐतिहासिक मंदिर का इतिहास 300 साल से भी पुराना है।
लोककथाओं के अनुसार, श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर आज जिस जगह स्थित है कभी वहां घना जंगल और एक छोटा-सा तालाब हुआ करता था। एक संत तालाब के पास ही कुटिया में रहता था। कहा जाता है कि चड्ढा बिरादरी की बहू के पास कोई औलाद नहीं थी। इसी उम्मीद से वह साधू बाबा के पास गई। तब ऋषि मुनि ने उसे वरदान दिया कि आपको पुत्र की प्राप्ति होगी, लेकिन उसका ध्यान लोगों की सेवा में रहेगा। ऋषि के वरदान से महिला के घर एक दिव्य बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम सोढल रखा गया।
जब तालाब से शेषनाग के रूप में प्रकट हुए बाबा
एक बार महिला तालाब के किनारे कपड़े धो रही थी और सोढल नजदीक खेल रहे थे। माता ने शरारतों से तंग आकर उसे तालाब में डूब जाने को कहा। तब श्री सोढल बाबा की उम्र महज 4 साल थी। मां के कहने पर सोढल तालाब में कूद गए। इससे परेशान होकर उनकी मां वहीं विलाप करने लगी। तालाब से शेषनाग प्रकट हुए, जिन्हें सोढल का रूप माना जाता है।
कैसे हुई मेले की शुरूआत?
उन्होंने माता से कहा कि जो भी व्यक्ति यहां मुराद लेकर आएगा वह जरूर पूरी होंगी। इतना कहने के बाद नाग देवता फिर तालाब में समा गए। उसके बाद से यहां मेला लगने लगा और भक्त अपनी मन्नतें व परेशानियां लेकर आने लगे।
हर साल लगता है मेला
पंजाब के इस मंदिर में हर साल मेला लगता है। वार्षिक बाबा सोढल मेले के दौरान मंदिर की रौनक और भी बढ़ जाती है। भक्तों और पर्यटकों का स्वागत सजावटी झंडियों, फूलों की बौछार के साथ किया जाता है। हवा में धूप की खुशबू, भजनों और प्रार्थनाओं की आवाज त्यौहार के आध्यात्मिक उत्साह को और बढ़ा देती है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।