ईरान के गोन्बाद-ए-काबुस शहर में एक अनोखी घटना घटी। यहां के एक जज, कासिम नकीजादेह ने एक ऐसे दोषी को सजा दी, जो छोटे-मोटे अपराध में शामिल था। यह सजा पारंपरिक जेल की सजा से अलग थी। उन्होंने दोषी को पांच किताबें खरीदकर उन्हें पढ़ने का आदेश दिया। इसके बाद क़ैदी को उन किताबों का संक्षिप्त विवरण लिखकर जेल प्रशासन को देना था ताकि अन्य क़ैदी भी उन्हें पढ़ सकें। जज नकीजादेह का मानना था कि सजा देने के बजाय अगर क़ैदी को पढ़ने का अवसर मिले, तो वह न केवल अपने आप को सुधार सकता है, बल्कि दूसरों को भी मार्गदर्शन दे सकता है। उनका यह मानना था कि जेल में किताबें पढ़ने से एक नया दृष्टिकोण मिलता है और अपराधियों को एक बेहतर रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है। यह सजा न केवल शारीरिक दंड से बचने का रास्ता थी, बल्कि एक शिक्षा और आत्मसुधार की प्रक्रिया थी, जो दोषी को जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती थी।
प्रस्तुति : सुरेन्द्र अग्निहोत्री