Pauranik Kathayen : माता सीता को क्यों कहा जाता है रावण की बेटी? नहीं जानते होंगे यह रोचक कहानी
चंडीगढ़, 15 फरवरी (ट्रिन्यू)
Pauranik Kathayen : भगवान राम और उनकी अर्धांगिनी देवी सीता के वनवास से लेकर लंका युद्द तक... हिंदू धर्म में लोग सबकुछ जानते हैं। हालांकि मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाने वाली माता सीता के जन्म को लेकर कई कहानियां और रोचक कथाएं प्रचलित है। देवी सीता के माता पिता सुनयना और राजा जनक हैं। हालांकि उन्हें माता का पालक माता-पिता कहा जाता है।
कई कहानियों में देवी सीता को रावण की पुत्री भी कहा जाता है। रामायण के अनुसार, माता सीता का जन्म धरती से हुआ था। उनका पालन पोषण राजा जनक ने किया इसलिए उन्हें जनक पुत्री भी कहा जाता। अद्भुत रामायण के अनुसार माता सीता रावण और मंदोदरी की पुत्री थी। वाल्मिकी जी द्वारा लिखित अद्भुत रामायण के अनुसार, दण्डकारण्य में गृत्स्मद नामक एक ब्राह्मण मां लक्ष्मी को पुत्री के रूप में प्राप्त करना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने खूब तपस्या भी की।
ब्राह्मण रोजाना एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण करते हुए दूध की बूंदें उसमें डालते थे। इस समय देवताओं व राक्षसों के बीच धमासान युद्ध भी चल रहा था। तब लंकापति रावण कलश को लेकर लंका गया और पत्नी मंदोदरी से इसे संभालने के लिए कहा। जब मंदोदरी ने कलश के बारे में पूछा तो रावण ने सब कुछ बता दिया। इसके बाद रावण सह्याद्रि पर्वत पर विहार करने के लिए चले गए। मंदोदरी ने नाराज होकर कलश में रखा दूध पी लिया, जिससे वह गर्भवती हो गई।
मंदोदरी ने परेशान होकर उस भ्रूण को निकाला और एक घड़े में बंद करके मिट्टी में दबा दिया। यह किसी को पता न चले इसलिए मंदोदरी छिपते हुए कलश को मिथिला भूमि में छोड़ आई। इस तरह माता सीता को रावण की पुत्री बताया जाता है।
जब राजा जनक अपने हाथों से हल चला रहे थे तो नुकीला भाग किसी कठोर चीज से टकराकर अटक गया। राजा जनक ने उस स्थान पर खोदा तो उन्हें कलश में सुंदर कन्या खेलती दिखीं। राजा जनक ने उस कन्या को अपनी पुत्री बनाकर पालन पोषण किया। चूंकि सीत के टकराने से उनका जन्म हुआ इसलिए उनका नाम सीता रखा गया।
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