Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Pauranik Kathayen : श्रीगणेश ने मूषक को ही क्यों बनाया अपना वाहन? जानिए बप्पा की दिलचस्प कहानी

Pauranik Kathayen : श्रीगणेश ने मूषक को ही क्यों बनाया अपना वाहन? जानिए बप्पा की दिलचस्प कहानी
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चंडीगढ़, 31 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Pauranik Kathayen : सनातम धर्म में महाभारत, रामायण, आदि पर्व आदि जैसे ग्रंथों में कई कहानियां हैं, जो नैतिकता के मामले में हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। ऐसी ही एक रोचक कहानी है गणेश और मूषक की। यह एक ऐसी कहानी है जो बताएगी कि कैसे एक छोटा सा चूहा भगवान गणेश का हमेशा का साथी और उनका वाहन बन गया।

Advertisement

गणेश वाहन मूषक की कहानी की उत्पत्ति

भगवान गणेश के विभिन्न अवतारों में उन्हें अलग-अलग वाहनों जैसे कि मोर, शेर और सांप के साथ चित्रित किया गया है, लेकिन उन्हें अक्सर मूषक की सवारी करते हुए वर्णित किया जाता है। गणेश और मूषक की कहानी सबसे पहले मत्स्य पुराण में दिखाई दी, जो अठारह पुराणों में से एक है।

गंधव देव क्रौंच को मिला श्राप

मत्स्य पुराण के अनुसार, गणेश और मूषक की कहानी भगवान इंद्र के दरबार से शुरू होती है, जहां कई ऋषि और गंधर्व एकत्र हुए थे। गंधर्वों में क्रौंच नाम का एक विशेष देवता था। सभा के दौरान भगवान इंद्र ने क्रौंच को पुकारा और वह आगे आया। उसने गलती से ऋषि वामदेव के पैर पर पैर रख दिया। इस कृत्य से वामदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रौंच को श्राप दे दिया।

मगर, श्राप के विपरीत परिणाम हुए और क्रौंच छोटा चूहा की बजाए एक विशालकाय कृंतक बन गया। उसने खेतों, मवेशियों और अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को नष्ट करना शुरू कर दिया। वह महर्षि पराशर के आश्रम में पहुंच गया, जहा गणेश भी रह रहे थे। गणेश ने विशाल चूहे द्वारा मचाई गई लूट के बारे में सुना था। उसके विनाश को नियंत्रित करने का फैसला किया।

क्रौंच को रोकने के लिए भगवान गणेश ने किया यह काम

मूषक को रोकने के लिए भगवान गणेश ने अपना पाशा (मूषक) छोड़ा और उसे विशाल कृंतक के गले में लपेट दिया। तब गणेश जी ने कहा कि चूहा दंड का हकदार है क्योंकि वह निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा रहा था। चूहे ने माफी मांगी और कहा कि वह अपने आकार के कारण कुछ नहीं कर सका। फिर भगवान गणेश चूहे पर चढ़ गए। चूहा गणेश का वजन सहन नहीं कर सका और छोटा हो गया। मूषक ने गणेश से अनुरोध किया कि वे हल्के हो जाएं, ताकि वे उनका साथ दे सकें और भगवान गणेश ने खुशी-खुशी उनकी बात मान ली। तब से मूषक जो वास्तव में क्रौंच था, भगवान गणेश का वाहन बन गया।

ये भी है पौराणिक कहानी

अन्य पौराणिक कहानी अनुसार, एक समय मुशिकासुर राक्षस ने लोगों को परेशान कर रखा था और भगवान गणेश उसे सबक सिखाना चाहते थे। गणेश ने द्वंद्वयुद्ध के लिए चुनौती दी और अहंकार से भरा हुआ मुशिकासुर लड़ने के लिए तैयार हो गया। हालांकि, गणेश ने अपनी बुद्धि और ज्ञान से युद्ध जीत लिया और मुशिकासुर ने हार मान ली। तब मुशिकासुर ने गणेश का वाहन बनने के लिए स्वेच्छा से आगे आकर कहा क्योंकि वह प्रतिशोध से बचना चाहता था। तभी से वह राक्षस भगवान गणेश का वाहन बन गया।

Advertisement
×