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Pauranik Kathayen : जब नारद जी ने श्रीहरि को दे दिया था श्राप, भगवान को भी सहना पड़ा माता लक्ष्मी से 14 साल का वियोग

Pauranik Kathayen : जब नारद जी ने श्रीहरि को दे दिया था श्राप, भगवान को भी सहना पड़ा माता लक्ष्मी से 14 साल का वियोग
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चंडीगढ़, 23 जनवरी (ट्रिन्यू)

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नारद जी को भगवान विष्णु का सबसे परम भक्त माना जाता है लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने अपने प्रिय भगवान विष्णु को भी श्राप दे दिया था। इस श्राप के कारण भगवान विष्णु को अपनी पत्नी माता लक्ष्मी से वियोग सहना पड़ा था।

पुराणों के अनुसार, एक बार नारद मुनि हिमालय में तपस्या कर रहे थे। यह देख इंद्र को लगा कि नारद मुनि अपनी तपस्या से उनका पद प्राप्त कर लेंगे। इंद्र ने कामदेव को नारद मुनि की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने नारद मुनि पर कामुक बाण चलाए, जिससे उनका ध्यान टूट गया। उन्होंने अपनी आंखें खोलीं और कामदेव को देखा। इस भय से कि कहीं नारद भगवान शिव की तरह उन्हें भी भस्म न कर दें कामदेव ने नारद से क्षमा मांगी। कामदेव ने कहा कि उन्होंने यह सब इंद्र के आदेश पर किया था।

यह सुनकर नारद मुस्कुराए और क्षमा कर दिया। इसके बाद कामदेव ने नारद से कहा कि जब मैंने भगवान शिव की तपस्या भंग की थी तो उन्होंने क्रोध में मुझे जलाकर भस्म कर दिया था। परंतु आपने अपने क्रोध पर विजय प्राप्त कर मुझे क्षमा कर दिया। आप तो शिव से भी बड़े सन्यासी हो गए हैं। यह सुनकर नारद को अहंकार हो गया। वह यह बात बताने के लिए भगवान शिव के पास गए।

भगवान शिव ने कहा, यह बात भगवान विष्णु को भूलकर भी मत बताना। नारद ने उनकी बात अनसुनी कर सीधे वैकुंठ लोक चले गए। उन्होंने भगवान विष्णु को भी यही बात बताई। भगवान विष्णु समझ गए कि नारद को अहंकार हो गया है। तब भगवान ने अपनी माया से एक नगर बसाया, जिस पर शीलनिधि का शासन था।

शीलनिधि की पुत्री विश्वमोहिनी का स्वयंवर होने वाला था। जब नारद वहां पहुंचे तो विश्वमोहिनी को देखकर उनके मन में भी विवाह करने का विचार आया। वह भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें अपना जैसा रूप देने के लिए कहा, ताकि वह विवाह कर सके। भगवान विष्णु ने नारद का चेहरा बंदर जैसा बना दिया। स्वयंवर में स्वयं विष्णु भी पहुंचे और विश्वमोहिनी ने उन्हें अपना वर चुना।

मनुष्य शरीर धारण कर 14 वर्षों तक स्त्री के वियोग में भटकोगे

सभी लोग नारद पर हंस रहे थे, जिसे देखकर उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि आप भी मनुष्य शरीर धारण कर 14 वर्षों तक स्त्री के वियोग में भटकोगे। आपने मुझे बंदर का चेहरा दिया है इसलिए ये ही बंदर आपकी पत्नी को खोजने में मदद करेंगे। भगवान विष्णु ने नारद के श्राप को स्वीकार कर लिया, जिसके कारण उन्होंने भगवान राम और मां लक्ष्मी ने माता सीता का अवतार लिया था।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribuneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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