Pauranik Kathayen : भगवान विष्णु ने इसलिए लिया था मत्स्य अवतार, आप भी नहीं जानते होंगे ये दिलचस्प कथा
चंडीगढ़, 31 जनवरी (ट्रिन्यू)
Pauranik Kathayen : भगवान विष्णु के दस प्रमुख को दशावतार के रूप में जाना जाता है, जिसमें से सबसे पहला है मत्स्य अवतार। भगवान विष्णु ने पहला अवतार पवित्र वेदों को बचाने के लिए लिया था। चलिए आपको बताते हैं कि भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार क्यों लिया और कैसे उन्होंने दुनिया को तबाही से बचाया।
हयग्रीव ने चुराए चारों वेद
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि कश्यप और दनु के घर जन्मे हयग्रीव अपने पिता के बिल्कुल विपरीत थे। हयग्रीव राक्षसों के राजा के रूप में चुने गए। मनुष्यों की प्रगति को रोकने के लिए ब्रह्मलोक में जाकर भगवान विष्णु द्वारा भगवान ब्रह्मा को सौंपे गए चार वेद- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद चुरा लिए। इसके बाद राक्षस राजा ने उन्हें समुद्र की गहराई में छिपा दिया।
भगवान विष्णु ने क्यों लिया मछली का अवतार
वेदों को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक मछली का रूप धारण किया, जिसे मत्स्य अवतार कहा जाता है। सत्यव्रत नाम का प्रतापी राजा एक दिन कृतमाला नदी में स्नान कर रहे थे। जब उन्होंने भगवान सूर्य को जल देने के लिए अंजुली में जल भरा तो उसमें छोटी मछली आ गई, जोकि भगवान विष्णु थे।
राजा सत्यव्रत को मिली जिम्मेदारी
राजा सत्यव्रत ने मछली को नदी में छोड़ दिया। तभी मछली रूपी भगवान विष्णु ने कहा कि राजन नदी के बड़े-बड़े जीव अपने से छोटे जीवों को मारकर खा लेते हैं। कृपया मेरी रक्षा कीजिए। राजा को दया आ गई और वह मछली को कमंडल में डालकर महल ले आए। अगली सुबह राजा ने देखा कि मछली का आकार बड़ा हो गया और वह कमंडल उसके लिए छोटा पड़ गया था।
राजा ने मछली को कमंडल से निकालकर पानी के मटके में डाल दिया। फिर अगले दिन मछली का आकार बढ़ गया और वो मटका भी मछली के लिए छोटा पड़ने लगा। राजा ने मछली को सरोवर में डलवा दिया, लेकिन कुछ ही वक्त के बाद मछली का आकार बढ़ने के कारण उसको समुद्र में डलवा दिया गया। राजा ने मछली से विनम्रता से पूछा कि आप कौन हैं, जिसके आगे ये सागर भी छोटा पड़ गया। तब भगवान श्री हरि ने कहा कि वो दैत्य हयग्रीव के वध के लिए अवतरित हुए हैं, जिन्होंने चारों वेद चुरा लिए हैं।
धरती पर आया प्रलय
मत्स्य रूप में भगवान विष्णु ने राजा से कहा कि सात दिन बाद प्रलय आएगा, जिससे सारी धरती पानी में डूब जाएगी। आपके पास एक नाव आएगी, उसमें अनाज, औषधि सहित सभी जरूरी चीजें व सप्त ऋषियों को लेकर सवार हो जाना। मैं आपको वहीं मिलूंगा। इसके बाद भगवान विष्णु ने हयग्रीव का सामना किया और उसे एक भयंकर युद्ध में पराजित करके चोरी किए गए वेदों को पुनः प्राप्त किया।
युद्ध के बाद धरती पर प्रलय आ गया और राजा ने भगवान विष्णु के आदेशानुसार एक नाव में सभी सामान व सप्त ऋषियों सहित सवार हो गए। पानी के वेग से नाव आगे बढ़ने लगी। इसी बीच भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में राजा सत्यव्रत और सप्त ऋषियों को दर्शन दिए। उन्होंने चारों वेद बह्मा जी को सौंप दिए। इस तरह भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर प्राणियों का कल्याण किया।