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Pauranik Kathayen: ब्रह्मा जी की पूजा न होने के पीछे ये है वजह, भगवान शिव और माता सावित्री ने दिया था श्राप

Pauranik Kathayen: ब्रह्मा जी की पूजा न होने के पीछे ये है वजह, भगवान शिव और माता सावित्री ने दिया था श्राप
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चंडीगढ़, 15 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Pauranik Kathayen : हिंदू धर्म में त्रिदेव यानि भगवान शिव, भगवान विष्णु और ब्रह्मदेव को पूजनीय माना जाता है, लेकिन फिर भी ब्रह्म देव जी की पूजा नहीं की जाती। चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा...

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पत्नी सावित्री ने दिया था श्राप

पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी अग्नि यज्ञ के लिए उचित स्थान की तलाश रहे थे। तभी उनके हाथ से एक कमल का फूल गिर गया और वहां 3 सरोवरों का निर्माण हो गया। इसे आज ब्रह्म, विष्णु और शिव पुष्कर के नाम से पहचाना जाता है। ब्रह्मा जी ने उसी जगह पर अग्नि यज्ञ करने का निर्णय लिया, लेकिन इसके लिए ब्रह्मा जी की पत्नी का होना जरूरी था। मगर, माता सावित्री वहां समय पर नहीं पहुंच पाई।

माना जाता है कि सही मुहूर्त बीत ना जाए इसलिए उन्होंने वहीं एक स्त्री के साथ विवाह करके यज्ञ में शामिल कर दिया। इससे क्रोधित होकर माता सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया था कि देवता होने के बाद भी उनकी पूजा नहीं की जाएगी। इसी वजह से उनकी पूजा नहीं की जाती।

भगवान विष्णु से जुड़ी कहानी

वैष्णव परंपरा के मुताबिक, जब विष्णु सो रहे थे, तब प्रलय था और जब उनकी निंदा खुली तो सृष्टि की स्थापना हो गई थी। भगवान विष्णु की नाभि से कमल के फूल पर विराजमान ब्रह्मा जी निकले और दुनिया को देख भयभीत हो गए। तब भगवान विष्णु ने उन्हें संभाला और इसी वजह से उनकी पूजा नहीं की जाती।

पूजा न होने के पीछे यह भी है वजह

कहा जाता है कि एक बार श्रेष्ठता को लेकर भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच युद्ध छिड़ गया। इसे रोकने के लिए भगवान शिव अग्नि स्तंभ के रूप में दोनों के बीच खड़े हो गए। तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने स्तंभ के अंतिम छोर को ढूंढने का फैसला किया और कहा कि पहले ऐसा करने वाला ही सबसे श्रेष्ठ होगा।

जब भगवान विष्णु जी को अंतिम छोर नहीं मिला तो वह वापिस लौट आए लेकिन ब्रह्मा जी केतकी के फूल को साथ ले आए। कहा कि मैंने अंतिम छोर को ढूंढ लिया। ब्रह्मा जी के कहने केतकी के फूल ने भी झूठ बोल दिया। तब भगवान शिव वहां प्रकट हुए और कहा कि, आपने झूठ कहा है इसलिए संसार में कभी भी आपकी पूजा नहीं की जाएगी। चूंकि इस झूठ में केतकी के फूल ने भी झूठ बोला था इसलिए शिव जी ने उसे भी श्राप दिया कि मेरी पूजा में कभी केतकी के फूल को नहीं चढ़ाया जाएगा।

बता दें कि ब्रह्मदेव का दुनिया में सिर्फ एक ही मंदिर बना है, जोकि राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि उनके सात मंदिर बनाए गए हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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