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Pauranik Kathayen : भारत में आज भी मौजूद है स्वर्ग की सीढ़ी, महाभारत में मिलेगा जिक्र 

Pauranik Kathayen : भारत में आज भी मौजूद है स्वर्ग की सीढ़ी, महाभारत में मिलेगा जिक्र 
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चंडीगढ़, 11 फरवरी (ट्रिन्यू)

Pauranik Kathayen : भारत रहस्यों से भरा है इसमें कोई शक नहीं है। यहां ऐसी कई जगहें स्थित हैं, जो सुंदरता के साथ-साथ रहस्यों और प्राचीन कहानियों से भरपूर है। आज हम आपको स्वर्गरोहिणी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे स्वर्ग जाने का रास्ता माना जाता है। इन सीढ़ियों का जिक्र धार्मिक मान्यताओं और महाभारत में भी मिलता है।

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पहाड़ों की गोद में बसी स्वर्गरोहिणी यानि स्वर्ग की सीढ़ियों के किस्से बहुत ही मजेदार और रोचक है। ऐसा कहा जाता है कि उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में स्थित स्वर्ग की सीढ़ियों से ही पांडव स्वर्ग गए थे। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि स्वर्गरोहिणी चोटियों पर चढ़कर लोग स्वर्ग पहुंच सकते हैं।

महाभारत में मिलता है जिक्र

सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह सीढ़ियां आज भी मौजूद हैं। हालांकि अब यह जगह टूरिस्ट के लिए ट्रैकिंग स्पॉट बन गई है। इसे अब भारत का प्रथम गांव भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाप्रस्थानिक पर्व, जो महाभारत की 18 पुस्तकों में से 17वीं पुस्तक है, महाकाव्य का वह भाग है जहां पांडव अपनी अंतिम यात्रा पर निकलते हैं।

पांडवों ने रास्ते में ही त्यागे प्राण

कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद के पांडव शासनकाल संभाल लेते हैं, लेकिन फिर सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद वह अपना राज्य त्याग देते हैं। साथ ही हिमालय की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। रास्ते में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान द्रौपदी सहित सभी भाई एक-एक करके रास्ते में ही अपने प्राणों को छोड़ते गए।

युधिष्ठिर ने चढ़ी थी सीढ़ियां

महाभारत के इस अंश में बताया गया है कि युधिष्ठिर, जिन्हें धर्मराज के नाम से भी जाना जाता है वह स्वर्ग के द्वार तक पहुंचने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। युधिष्ठिर के साथ एक कुत्ते ने भी स्वर्ग की सीढ़ी चढ़ी थीं। हालांकि इसको लेकर कई तरह के मत भी हैं।

ट्रेकिंग के लिए मशहू 'स्वर्ग की सीढ़ीयां'

स्वर्गारोहिणी का रास्ता अब ट्रेकिंग के लिए मशहूर है। ट्रेकर्स को यह जगह खूब भाती है। इसके अलावा सतोपंथ झील ट्रेकिंग भी माना गांव से शुरु होती है। सतोपंथ झील का सफर असली मायने में सत्य के पथ की यात्रा का प्रतीक है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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