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Pauranik Kahaniyan : जब भक्त के लिए स्वयं झुक गए थे भगवान श्रीनाथ, आप भी नहीं जानते होंगे ये कहानी

कोई माला लेकर आता है तो उसे श्रीनाथ जी के चरणों में स्पर्श करवाकर पुजारी उसे वापिस कर देते हैं
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चंडीगढ़, 25 मार्च (ट्रिन्यू)

Pauranik Kahaniyan : भगवान और भक्त का रिश्ता अत्यंत पवित्र और भावनात्मक माना जाता है। पर क्या आपने कभी सुना है कि किसी भक्त के लिए भगवान स्वयं झुक गए हो। आज हम आपको एक ऐसी ही पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं, जोकि ब्रज मंदिरों की अनोखी परंपरा से जुड़ी हुई है।

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दरअसल, ब्रज के मंदिरों में सदियों से परंपरा चली आ रही है। इसके मुताबिक, अगर भक्त मंदिर विग्रह के लिए कोई माला लेकर आता है तो उसे श्रीनाथ जी के चरणों में स्पर्श करवाकर पुजारी उसे वापिस कर देते हैं। इसके पीछे की कहानी दिल को छू लेने वाली है...

कथाओं के मुताबिक, अकबर के समय में एक वैष्णव भक्त रोजाना श्रीनाथ जी के लिए बहुत मन से माला लाया करता था। एक दिन अकबर का सेनापति भी श्रीनाथ जी को माला भेंट करने के लिए मंदिर पहुंचा। माली के पास सिर्फ एक ही माला बची थी। इस पर सेनापति और वैष्णव भक्त माला लेने के लिए अड़ गए। तब माली ने इस धर्म संकट से बचने के लिए दोनों को अधिक बोली लगाने को कहा। उसने कहा कि जो भी अधिक दाम देगा मैं उसी को यह माला दे दूंगा।

वैष्णव भक्त और सेनापति ने अधिक दाम पर माला की बोली लगानी शुरु की। चूंकि सेनापति अमीर थी इसलिए वह अधिक धन लगाता गया। वैष्णव भक्त ने भी बढ़-चढ़कर बोली लगाई। जब माला के दाम बहुत अधिक बढ़ गए तब सेनापति ने बोली लगाना बंद कर दी। मगर, वैष्णव भक्त के सामने दुविधा खड़ी हो गई क्योंकि उसके पास देने के लिए इतना अधिक धन नहीं था।

उसने अपना घर सहित सब माली को दे दिया और माला ले ली। जब भक्त ने श्रीनाथ के गले में माला पहनाई तो उनकी गर्दन झुक गई, जिसे देख पुजारी सहित मंदिर में मौजूद हर कोई हैरान हो गया। जब पुजारियों ने श्रीनाथ जी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने सारी कह सुनाई। पुजारियों ने भक्त की मदद की और उसका घर सहित सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध करवाईं।

उस घटना के बाद से ही ब्रज में यह परंपरा शुरु हो गई और भक्त की माला श्रीविग्रह को स्पर्श कराकर उन्हें ही पहनाई जाने लगी। किंवदंतियों अनुसार, यह घटना गोवर्धन स्थित जतीपुरा मुखारविन्द की है। ऐसी मान्यता है कि नाथद्वारा में जो श्रीनाथ जी का विग्रह है, वह इन्हीं ठाकुर जी का रूप है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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