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Pauranik Kahaniyan : मरते दम तक ये काम नहीं कर पाया लंकापति रावण, अधूरी रह गई कईं इच्छाएं

Pauranik Kahaniyan : मरते दम तक ये काम नहीं कर पाया लंकापति रावण, अधूरी रह गई कईं इच्छाएं
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चंडीगढ़, 24 मार्च (ट्रिन्यू)

लंकापति रावण यानि दशानन भले ही राक्षस कुल से थे, लेकिन वह एक महान शिव भक्त और युद्धकुशल योद्धा थे। उसकी इच्छाओं व कार्यों का असर न केवल रामायण में बल्कि भारतीय साहित्य-संस्कृति पर भी गहरा पड़ा है। हालांकि रावण की कुछ ऐसी इच्छाएं भी थी जो मरने से पहले अधूरी ही रह गई। चलिए आपको बताते हैं कि रावण की कौन-सी इच्छाएं मरते दम तक पूरी ना हो पाई...

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भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना

रावण का जीवन भगवान शिव के प्रति अत्यधिक भक्ति से जुड़ा हुआ था। उसने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। वह चाहता था कि भगवान शिव उसे अपार शक्ति और अमरता का आशीर्वाद दें। हालांकि, रावण की यह इच्छा अधूरी रह गई क्योंकि भगवान शिव ने उसे शक्ति तो दी लेकिन अमरता का आशीर्वाद नहीं दिया।

अयोध्या पर विजय प्राप्त करना

रावण की इच्छा थी कि वह भगवान राम और उनके परिवार से बदला लेकर अयोध्या पर विजय प्राप्त करे। उसकी योजना थी कि वह राम की मृत्यु के बाद अयोध्या का शासक बने लेकिन राम के हाथों मृत्यु ने इस इच्छाशक्ति को अधूरा ही छोड़ दिया।

अपने परिवार का सम्मान और सुरक्षा

रावण चाहता था कि उसका परिवार हमेशा सम्मानित और सुरक्षित रहे। उसने अपनी बहन शोभना और अन्य रिश्तेदारों के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश की। हालांकि जब उसने माता सीता का अपहरण किया और उनपर अपना 'हक' समझा, तो यह परिवार के लिए एक संकट बन गया। अंततः उसकी इच्छा अधूरी रह गई।

रक्षा का अंत और राम के समक्ष समर्पण

रावण की यह भी इच्छा थी कि वह अपने जीवन का अंत सम्मान के साथ करें, लेकिन उसकी मृत्यु का दृश्य अत्यधिक कष्टदायक था। राम के हाथों मारा जाना उसके लिए अपमानजनक था।

कैलाश पर विजय

रावण भगवान शिव व उनके निवास स्थान कैलाश को अपने साथ लंका ले जाना चाहता था लेकिन भगवान श्रीगणेश ने इस इच्छा को भी पूरा नहीं होने दिया। उन्होंने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास भी किया था।

विश्व विजय की महत्वाकांक्षा

रावण पूरे विश्व पर विजय प्राप्त करना चाहता था। इसके लिए उसने अनेक यज्ञ और युद्ध भी किए। रावण का एक प्रमुख उद्देश्य था कि वह अपने साम्राज्य को और विस्तृत करे। साथ ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली शासक के रूप में पहचाना जाए। उसकी महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी थी, लेकिन उसकी मृत्यु ने उसके साम्राज्य के विस्तार के सपने को अधूरा छोड़ दिया।

रावण की ये इच्छाएं भी रह गई अधूरी

रावण की इच्छा ये भी थी की सोने से सुगंध आए क्योंकि वह चाहते थे कि उनकी सोने की लंका महक उठे। वहीं, वह समुद्र का जल मीठा करना चाहते थे, ताकि उनके राज्य के लोग समुद्र का पानी पीकर अपनी प्यास बुझा सके। इसके अलावा रावण चाहता था कि रक्त का रंग सफेद हो जाए। दरअसल, उन्होंने बहुत से युद्ध और रक्तपात देखे इसलिए वह चाहते थे कि खून का रंह सफेद हो जाए, ताकि इसे देखकर कोई विचलित ना हो। हालांकि उसकी ये कामनाएं पूरी नहीं हो पाईं।

रावण का जीवन बहुत जटिल और परतदार था, जिसमें उसकी भक्ति, शक्ति, अहंकार और गलत निर्णय एक साथ मिलते थे। उसकी अधूरी इच्छाएं यह दर्शाती हैं कि अंततः कोई भी व्यक्ति अपनी गलतियों और अहंकार से कुछ नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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