एक बार बिहार के दूर-दराज के गांव बोरो में पढ़ाई कर रहे एक बालक ने गांधीजी के बारे में सुना और उनके भारत प्रेम के भाव को मन में बसा लिया। बगैर जूते और चप्पल के पाठशाला जाने वाले इस निर्धन बालक ने किशोर अवस्था में देश भक्ति से सराबोर काव्य सृजन किया। किशोर से युवा हुआ तो गांधीजी की दांडी यात्रा ने उसमें अपार देशप्रेम भर दिया। अपनी मेहनत से जब वह बिहार सरकार के अधीन सब रजिस्ट्रार बना तो उसकी ओजपूर्ण कविताओं से अंग्रेज सरकार को दिक्कत होने लगी। चार साल के कार्यकाल में तेईस बार उनका तबादला किया गया। मगर वह अपनी देशभक्ति पर अडिग रहे। वह थे जन-जन में देशप्रेम जगाने वाले राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर। बाद में उनको पद्म विभूषण तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
प्रस्तुति : पूनम पांडे
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