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Panchang 22 November 2025: आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, यहां पढ़ें शनि व्रत के नियम

Panchang 22 November 2025: आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है और शनिवार है। आइए जानते हैं आज शनिदेव की पूजा विधि व व्रत के नियमों के बारे में। शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना...

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Panchang 22 November 2025: आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है और शनिवार है। आइए जानते हैं आज शनिदेव की पूजा विधि व व्रत के नियमों के बारे में।

शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना जाता है। उनके शुभ प्रभाव के लिए शनिवार का व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है। शनि-दोष, दुःख, दरिद्रता या जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति हेतु यह व्रत श्रेष्ठ उपाय माना गया है।

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पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक शास्त्रों के अनुसार शनिवार का व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार या निर्दोष शनिवार से प्रारम्भ करना सर्वोत्तम है। व्रत की शुरुआत से पूर्व पंचांग देखकर घात मास तथा जन्मराशि से गोचरीय चन्द्रमा की शुद्धि अवश्य जांचनी चाहिए। व्रत शनि प्रदोष तिथि से भी आरम्भ किया जा सकता है।

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व्रत के दिन प्रातः स्नान के बाद इष्टदेव, गुरु तथा माता-पिता का आशीर्वाद लेकर संकल्प किया जाता है। श्री गणेश का पूजन कर पीपल या शमी वृक्ष के नीचे सरसों तेल से भरा मिट्टी या लोहे का कलश रखकर उसके ऊपर शनिदेव की लौह प्रतिमा स्थापित की जाती है। प्रतिमा को काले वस्त्र पहनाकर पूजन किया जाता है। तत्पश्चात वृक्ष का पूजन कर काली वस्तुएं—जैसे लौंग, काली इलायची, तिल, दूध आदि पश्चिम दिशा की ओर मुख कर जड़ में अर्पित की जाती हैं। वृक्ष के तने पर तीन तार का सूत आठ बार लपेटकर परिक्रमा करने के बाद “ओम् शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप किया जाता है।

पंडित शास्त्री के अनुसार कथा पाठ के बाद काले कुत्ते को उड़द की पीठी या तिल-तेल से बने पकवान खिलाना शुभ माना गया है। दिनभर निराहार रहकर सूर्यास्त से पूर्व व्रत का पारण कर तिल-तेल युक्त भोजन ग्रहण किया जाता है। प्रत्येक शनिवार कम से कम 108 बार शनि मंत्र का जप करना चाहिए और हनुमानजी के दर्शन विशेष रूप से शुभ माने गए हैं। शनिवार व्रत से शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती तथा अशुभ गोचर के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है।

Panchang 22 November 2025: राष्ट्रीय मिति मार्गशीर्ष 01

शक संवत 1947

विक्रम संवत 2082

पक्ष शुक्ल पक्ष

तिथि द्वितीया — सायं 05:12 तक, उपरांत तृतीया आरंभ

दिन शनिवार

सौर मास मार्गशीर्ष — प्रविष्टे 07

अंग्रेजी तारीख 22 नवम्बर 2025

सूर्य दक्षिणायन, दक्षिण गोल

ऋतु हेमन्त ऋतु

नक्षत्र ज्येष्ठा — सायं 04:47 तक, उपरांत मूल

योग सुकर्मा — पूर्वाह्न 11:37 तक, उपरांत धृतिमान

करण कौलव — सायं 05:17 तक, उपरांत गर

चन्द्रमा वृश्चिक — सायं 04:47 तक, उपरांत धनु राशि

राहुकाल 09:00 — 10:30 प्रातः

विजय मुहूर्त 01:53 — 02:35 दोपहर

निशीथ काल 11:41 — 12:34 रात्रि

गोधूलि बेला 05:25 — 05:52 शाम

गुलिक काल 06:00 — 07:30 प्रातः

यमगंड 01:30 — 03:30 दोपहर

अमृत काल 08:09 — 09:28 प्रातः

दुर्मुहूर्त 06:49 — 07:32 प्रातः

डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

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