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Panchang 16 january 2025: महाकुंभ में क्यों करना चाहिए स्नान, जानें क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व

Panchang 16 january 2025
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प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला 2025 के दौरान श्रद्धालु संगम में पवित्र डुबकी लगाते हुए। पीटीआई फोटो
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चंडीगढ़, 12 जनवरी (ट्रिन्यू)

Panchang 16 january 2025: महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु, संत और साधक प्रयागराज के पवित्र संगम पर एकत्र होते हैं। यहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में स्नान को आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का द्वार माना जाता है।

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पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक यह पवित्र स्नान जीवनभर के पापों को धोकर आत्मिक शांति प्रदान करता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कुंभ के दौरान ग्रहों की विशेष स्थिति जल को आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाती है।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कुंभ मेले के दौरान प्रयागराज के पवित्र संगम में स्नान को आत्मा की शुद्धि का महत्वपूर्ण साधन माना गया है। गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में स्नान से नकारात्मक कर्म दूर होते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। कुंभ के समय ग्रहों की विशिष्ट स्थिति संगम के जल को आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाती है, जिससे यह स्नान विशेष महत्व रखता है।

यह दिव्य स्नान जीवनभर के पापों से मुक्ति और मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। भक्तों का मानना है कि इससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो जीवन में संतुलन और उद्देश्य का संचार करती है। कुंभ स्नान न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक आस्था और भक्ति का उत्सव है, जो परंपरा, देवत्व और आध्यात्मिकता से गहराई से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

यहां स्नान प्राचीन परंपराओं का पालन करने, संतों और साधुओं से आशीर्वाद पाने और मानसिक शांति का अनुभव करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है। संगम पर स्नान से व्यक्ति देवत्व से गहरा जुड़ाव महसूस करता है। यह आयोजन आस्था, भक्ति और एकता का अद्वितीय संगम है।

महाकुंभ न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव भी है। आत्म-खोज की यह यात्रा जीवन को नई दिशा और आशा देती है।

Panchang 16 january 2025: पंचांग तालिका (16 जनवरी 2025)

विवरण तिथि/समय

राष्ट्रीय मिति पौष 26, शक संवत् 1946, माघ कृष्णा, तृतीया, बृहस्पतिवार

विक्रम संवत् 2081

सौर माघ मास प्रविष्टे 03

अंग्रेजी तारीख 16 जनवरी 2025

सूर्य उत्तरायण, दक्षिण गोल, शिशिर ऋतु

राहुकाल अपराह्न 01:30 से 03:00

तृतीया तिथि अगले दिन तड़के 04:07 तक

चतुर्थी तिथि तृतीया उपरांत

आश्लेषा नक्षत्र पूर्वाह्न 11:17 तक

मघा नक्षत्र आश्लेषा उपरांत

आयुष्मान योग अर्धरात्रोत्तर 01:06 तक

सौभाग्य योग आयुष्मान योग उपरांत

वणिज करण अपराह्न 03:46 तक

बव करण वणिज करण उपरांत

विजय मुहूर्त दोपहर 02:23 से 03:06

निशिथ काल मध्यरात्रि 12:10 से 01:03

गोधूलि बेला शाम 05:54 से 06:21

चंद्रमा का संचार पूर्वाह्न 11:17 तक कर्क राशि, उपरांत सिंह राशि

डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

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