Panchang 12 September 2025: आज षष्ठी तिथि का श्राद्ध, जानें कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध और क्या है इनका महत्व
Shraadh 2025: आज सुबह 09 बजकर 59 तक पंचमी तिथि का श्राद्ध है। इसके बाद षष्ठी तिथि का श्राद्ध शुरू हो जाएगा। आइए आज जानते हैं श्राद्ध क्या हैं और पितृ पक्ष में इनका क्या महत्व है।
पंडित अनिल शास्त्री का कहना है कि वायु पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष के 16 दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर उपस्थित रहते हैं और अन्न-जल ग्रहण करते हैं। उनकी आत्मा की तृप्ति और मोक्ष के लिए श्रद्धा व कर्मकांड से किया गया यज्ञ ही श्राद्ध कहलाता है।
श्राद्ध की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। इसका उद्देश्य पूर्वजों का सम्मान और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना है। श्राद्ध के 12 प्रकार होते हैं। इनमें नित्य श्राद्ध प्रतिदिन अन्न या जल से किया जाता है। नैमित्तिक श्राद्ध किसी विशेष निमित्त से, जबकि काम्य श्राद्ध किसी इच्छा की पूर्ति के लिए होता है। विवाह जैसे अवसरों पर किया जाने वाला वृद्ध श्राद्ध, प्रेत पिंड का पितृ पिंडों में मिलन कराने वाला सपिंडी श्राद्ध और पितृ पक्ष, अमावस्या आदि पर होने वाला पार्वण श्राद्ध प्रमुख हैं।
इसके अलावा, सामूहिक रूप से किया जाने वाला गोष्ठी श्राद्ध, शुद्धि हेतु शुद्धयर्थ श्राद्ध, किसी मुख्य कर्म का अंग बनने वाला कर्माग श्राद्ध, यात्रा से पूर्व यात्रार्थ श्राद्ध और उन्नति हेतु पुष्ट्यर्थ श्राद्ध भी किए जाते हैं। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया गया दैविक श्राद्ध भी महत्वपूर्ण माना गया है।
मान्यता है कि पितरों की तृप्ति से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति आती है। पितृ पक्ष में पूरी श्रद्धा से श्राद्ध करने पर पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और जीवन में उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। यही कारण है कि श्राद्ध कर्म को धर्म, संस्कृति और कर्तव्य की दृष्टि से सर्वोपरि माना गया है।
Panchang 12 September 2025: राष्ट्रीय मिति भाद्रपद 21, शक संवत 1947
विक्रम संवत् 2082
आश्विन, कृष्ण पक्ष, पंचमी (09:59 तक), उपरांत षष्ठी
वार शुक्रवार
सौर मास भाद्रपद मास, प्रविष्टे 28
अंग्रेजी तिथि 12 सितम्बर 2025 ई॰
सूर्य स्थिति दक्षिणायन
गोल उत्तर गोल
ऋतु शरद ऋतु
राहुकाल प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक
नक्षत्र भरणी (11:59 पूर्वाह्न तक), उपरांत कृतिका
योग व्याघात (01:43 अपराह्न तक), उपरांत हर्षण योग
करण तैतिल (09:59 पूर्वाह्न तक), उपरांत वणिज
विजय मुहूर्त 2:21 अपराह्न से 3:11 अपराह्न तक
निशीथ काल 11:54 रात्रि से 12:41 रात्रि तक
गोधूलि बेला 6:30 शाम से 6:53 शाम तक
चन्द्रमा राशि मेष
श्राद्ध षष्ठी का श्राद्ध
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।