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Navratri 6th Day : राक्षसों का वध करने के लिए जन्मीं मां कात्यायनी, जानें कैसे पड़ा उनका यह नाम

Navratri 6th Day : राक्षसों का वध करने के लिए जन्मीं मां कात्यायनी, जानें कैसे पड़ा उनका यह नाम
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चंडीगढ़, 2 अप्रैल (ट्रिन्यू)

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Navratri 6th Day : मां कात्यायनी देवी की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन की जाती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में होती है। कात्यायनी देवी को एक साथ कई रूपों में पूजा जाता है, जिनमें महालक्ष्मी, महाकाली, और महासरस्वती का समावेश होता है। वहीं, उन्हें मां दुर्गा के अवतारों में से एक माना जाता है। देवी का नाम 'कात्यायनी' महर्षि कात्यायन से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने प्राचीन काल में कठिन तपस्या की थी।

कात्यायनी का जन्म

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कात्यायनी देवी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए उन्हें इस नाम से पूजा जाता है। भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वह देवी दुर्गा के रूप में पृथ्वी पर आएंगी और राक्षसों का नाश करेंगी। कात्यायनी देवी का रूप अत्यंत आकर्षक और शक्तिशाली था। वह एक तेजस्वी, सुंदर और शांति का प्रतीक रूप धारण करके जन्मी थीं। देवी कात्यायनी को गृहीत करने का उद्देश्य राक्षसों के विनाश और धर्म की पुनर्स्थापना था।

देवी कात्यायनी का स्वरूप

कात्यायनी देवी का रूप अत्यंत सुंदर और शक्तिशाली होता है। उन्हें अक्सर सिंह पर सवार और हाथों में शंख, त्रिशूल , धनुष, बाण, गदा जैसे अस्त्र-शस्त्रों के साथ चित्रित किया जाता है। यह प्रतीक उनके युद्धकला और रक्षात्मक शक्ति को दर्शाते हैं। देवी कात्यायनी के इन अस्त्रों के माध्यम से वह अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और बुराई पर अच्छाई की विजय दिलाती हैं।

महिलाओं के सम्मान का प्रतीक

इसके अलावा, कात्यायनी देवी को महिलाओं के लिए विशेष रूप से सम्मानित और पूज्य माना जाता है। उन्हें स्त्रीत्व, शक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। उनकी उपासना करने से महिलाओं को जीवन में सुख, समृद्धि और संतुलन प्राप्त होता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि उनकी पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

मां कात्यायनी का स्तोत्र पाठ

कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।

सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

ऐसे करें मां को प्रसन्न

मां कात्यायनी को लाल रंग अतिप्रिय है इसलिए उन्हें लाल रंग के फल-फूल व प्रसाद अर्पित करें। चैत्र नवरात्रि के छठे दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसके अलावा मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए उपासक शहद भी चढ़ा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि कात्यायनी देवी की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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