Navratri 4th Day : ब्रह्मांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा को कैसे मिला यह नाम, जानिए दिलचस्प कथा
Navratri 4th Day : ब्रह्मांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा को कैसे मिला यह नाम, जानिए दिलचस्प कथा
चंडीगढ़, 31 मार्च (ट्रिन्यू)
Navratri 4th Day : हिंदू धर्म में देवी दुर्गा के नौ रूपों को नवदुर्गा के रूप में पूजा जाता है। देवी कुष्मांडा का पूजन विशेष रूप से नवरात्रि के चौथे दिन किया जाता है। "कु" का अर्थ है "अंधकार" और "उष्मा" का अर्थ है "प्रकाश"। इन दोनों शब्दों को जोड़कर देवी का नाम कुष्मांडा पड़ा। देवी कुष्मांडा को सृष्टि की रचनाकार भी कहा जाता है, क्योंकि वे निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
देवी कुष्मांडा का स्वरूप
देवी कुष्मांडा का रूप अत्यन्त सौम्य और दिव्य होता है। वे चार भुजाओं वाली एक सुंदर देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनके एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे हाथ में धनुष-बाण, तीसरे हाथ में अमृत कलश और चौथे हाथ में जल की छोटी कलश होती है। वे एक सिंह पर सवार होती हैं और उनके चेहरे की चमक सम्पूर्ण ब्रह्मांड को आलोकित करती है।
देवी कुष्मांडा का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि वह ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के साथ मिलकर इस संसार की सृष्टि, पालन और संहार करती हैं। वे ब्रह्मांड के हर कण में अपने उष्मा (ऊर्जा) से प्रकट होती हैं और उसे संतुलित करती हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मां कुष्मांडा की जन्म कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड में घना अंधकार था और कोई भी जीव या प्राणी अस्तित्व में नहीं था तब सृष्टि की रचना के लिए किसी के पास कोई शक्ति नहीं थी। तभी देवी कुष्मांडा ने स्वयं को ब्रह्मांड के केंद्र में प्रकट किया और अपने "कुष्म" (अंडा) से सृष्टि की रचना की। देवी का रूप बहुत दिव्य था और उनका शरीर सूर्य के समान तेजस्वी था।
देवी कुष्मांडा की पूजा
देवी कुष्मांडा के शरीर से उत्पन्न ऊर्जा से यह पूरा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया। देवी कुष्मांडा को ताजे फूलों, फल, मिठाई, नारियल और घी के दीपक अर्पित किए जाते हैं। गुलाब के फूल और जले हुए घी का दीपक उनकी पूजा में विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि, और साहस मिलता है। वे अपने भक्तों को हर कष्ट और दुख से मुक्ति प्रदान करती हैं। देवी कुष्मांडा की उपासना से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
उपवास और दान
नवरात्रि में गरीबों को अनाज, फल, वस्त्र, और अन्य दान करें। यह दान आपके अच्छे कर्मों का संकलन करेगा और देवी की कृपा प्राप्त होगी।
मां कूष्मांडा का स्तोत्र पाठ
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्मांडे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्मांडे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्मांडे प्रणमाभ्यहम्॥