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Mysterious Shiva Temples : दक्षिण भारत के 5 शिव मंदिर, आप भी नहीं जानते होंगे यहां की रहस्यमयी कहानियां

Mysterious Shiva Temples : दक्षिण भारत के 5 शिव मंदिर, आप भी नहीं जानते होंगे यहां की रहस्यमयी कहानियां
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चंडीगढ़, 15 फरवरी (ट्रिन्यू)

Mysterious Shiva Temples : इसमें कोई शक नहीं कि भारत देश रहस्मयी व धार्मिक स्थलों का गढ़ है। यहां ऐसे कई मंदिर है जो अपनी आस्था के साथ-साथ रहस्मयी कहानियों के चलते पर्यटकों के आकर्षण का कारण बनते हैं। आज हम आपको दक्षिण भारत में स्थित भगवान शिव के कुछ रहस्मयी मंदिरों के बारे में बताएंगे।

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रामनाथस्वामी मंदिर

तमिलनाडु में स्थित रामनाथस्वामी मंदिर को रामेश्वरम के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान शिव का सबसे प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम में देश-विदेश से भक्त आते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर जीत प्राप्त करने के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए इस मंदिर में समुद्र रेत से शिवलिंग की स्थापना की थी।

शोर मंदिर

महाबलीपुरम जिले में स्थित शोर मंदिर भगवान शिव का प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। समुद्र तट के किनारे स्थित यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव भगवान विष्णु को घेरे हुए दिखाई देंगे। दरअसल, यहां दोनों तरफ से भगवान शिव और बीच में भगवान विष्णु विराजमान है।

श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के श्रीशैलम शहर में स्थित श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर भी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे दक्षिण भारत का कैलाश और श्रीशैलम मंदिर भी कहा जाता हैं। यहां भगवान शिव को श्री मल्लिकार्जुन स्वामी के रूप में देवी पार्वती के रूप भ्रामराम्बिका के साथ विराजमान है।

बृहदेश्वर मंदिर

तंजौर शहर में स्थित प्राचीन शिव बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने के लिए चूना या सीमेंट की बजाए बस पत्थर से ऊपर पत्थर को रखकर किया गया है।

श्री कालहस्ती मंदिर

चित्तूर जिले में स्थित श्री कालाहस्ती मंदिर में श्रद्धालु जीवन के सभी पाप धोने के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में 5 तत्वों में से एक वायु का प्रतिनिधित्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने एक श्राप से मुक्ति के लिए यहां तपस्या की थी।

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