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Masik Kalashtami : भगवान शिव के क्रोध से हुआ काल भैरव का जन्म, गुस्से में काट दिया था ब्रह्मा जी का पांचवा सिर

Masik Kalashtami : भगवान शिव के क्रोध से हुआ काल भैरव का जन्म, गुस्से में काट दिया था ब्रह्मा जी का पांचवा सिर
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चंडीगढ़ , 21 जनवरी (ट्रिन्यू)

Masik Kalashtami : मासिक कालाष्टमी या काल भैरव जयंती आदित्य पुराण में एक शुभ दिन है। इस दिन हम भगवान शिव के दूसरे रूप भगवान भैरव की पूजा करते हैं। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा जी के एक झूठ के चलते भगवान शिव के क्रोध से भैरव देव का जन्म हुआ था।

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भगवान भैरव की पौराणिक कथा

माना जाता है कि काल भैरव भगवान शिव का एक रूप हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात पर बहस हुई कि दोनों में से सबसे महान कौन है। उसी समय, उनके सामने एक अग्नि लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवता लिंग का अंत देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन किसी को भी लिंग का अंत ना मिला।

तब भगवान विष्णु ने अपनी हार स्वीकार कर ली लेकिन भगवान ब्रह्मा ने झूठ कहा कि उन्हें लिंग का अंत मिल गया है। गवाही देने के लिए वह केतकी के फूल को भी अपने संग ले आए। उसी समय भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और भगवान ब्रह्मा से झूठ न बोलने के लिए कहा। मगर ब्रह्म देव ने कहा कि उन्होंने अंत ढूंढ लिया है।

इसपर भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने काल भैरव का रूप ले लिया। भगवान काल भैरव ने भगवान ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया, जिससे भगवान ब्रह्मा को झूठ बोलने की अपनी गलती का एहसास हुआ। तब भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव से क्षमा मांगी और भोलेनाथ ने उन्हें माफ कर दिया। बाद में भगवान ब्रह्मा ने भी भगवान विष्णु से क्षमा मांगी और उन दोनों ने अपनी लड़ाई को सुलझा लिया। इससे उन्हें ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिली और उनका अभिमान व अहंकार दूर हो गया।

कालाष्टमी महत्व

काल भैरव को 'समय के देवता' के रूप में जाना जाता है। इस दिन, लोग अपने जीवन में विकास और शक्ति प्रकट करते हैं और अपने अहंकार और अभिमान को अलग रखते हैं, जिससे भक्तों की मोक्ष की यात्रा आसान हो जाती है। इस दिन व्रत रखने से जीवन से चुनौतियां दूर होती हैं। यह दुख और पीड़ा को भी दूर करता है और लोगों को अच्छे कर्म करने व अच्छे आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका देता है।

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