Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ में खुले में शौच का आरोप, NGT ने याचिकाकर्ता से मांगे सबूत
नई दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने प्रयागराज में महाकुंभ मेला स्थल पर स्वच्छ बायो-टॉयलेट की कमी के कारण श्रद्धालुओं के खुले में शौच के लिए मजबूर होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश के प्रदूषण निकाय को अपने आरोपों के समर्थन में साक्ष्य उपलब्ध कराने का सोमवार को निर्देश दिया।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ 14 फरवरी को दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि लाखों श्रद्धालुओं को पर्याप्त सुविधाओं के अभाव के चलते गंगा के किनारे खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ा। ये घटनाएं “स्वच्छ बायो-टॉयलेट की कमी” के कारण हुईं।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने दावों को साबित करने के लिए पेन ड्राइव में केवल दो वीडियो क्लिप संलग्न किए थे, लेकिन इनमें भू-निर्देशांक नहीं थे। उसने कहा कि ये वीडियो उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। मूल याचिका (ओए) में एक संवेदनशील मुद्दा उठाया गया है। इसलिए, किसी सक्षम प्राधिकारी को जमीनी स्तर पर सही तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाकर याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच करनी चाहिए।
इस पर यूपीपीसीबी के वकील ने कहा कि अगर प्रासंगिक सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, तो बोर्ड शिकायत पर विधिवत विचार करेगा और उपचारात्मक कदम उठाएगा। इसलिए, हम याचिकाकर्ता को सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी को उसकी ओर से लगाए गए आरोपों के समर्थन में सभी सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए ओए का निपटान करते हैं। सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी सामग्री मिलने पर तुरंत घटनास्थल का निरीक्षण करके आरोपों की सत्यता का पता लगाएंगे।
तत्काल उपचारात्मक कदम उठाएंगे
एनजीटी ने कहा कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो सदस्य सचिव “तत्काल उपचारात्मक कदम” उठाएंगे और चार हफ्ते के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करेंगे। आवश्यक पाए जाने पर मामले को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।