एक ऋषि से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया, हे भगवन्! दुनिया में कुछ लोग मान-सम्मान और सुख पाते हैं, जबकि कुछ अनादर और दुख झेलते हैं, जबकि सभी का शरीर लगभग एक जैसा ही होता है। इस पर ऋषि ने कहा कि कल तुम तालाब के पास आना, मैं तुम्हें इस सवाल का जवाब दूंगा। अगले दिन ऋषि ने दो कमंडल लिए, एक में छेद कर दिया और दूसरे में छेद नहीं किया। ऋषि ने दोनों कमंडल तालाब में फेंक दिए। जिस कमंडल में छेद था, उसमें पानी भर गया और वो डूब गया, जबकि जिसमें छेद नहीं था, वो तैरता रहा। ऋषि ने उस व्यक्ति से कहा, ‘दोनों कमंडल रंग-रूप और प्रकृति में एक समान थे, मगर जिस कमंडल में छेद था, वो डूब गया। इसी तरह मनुष्य का चरित्र ही इस संसार रूपी सागर में उसे तैराता है। जिसके चरित्र में छेद अर्थात् दोष होता है, उसका मान-सम्मान सब नष्ट हो जाता है, और जिसका चरित्र सही होता है वो समाज में मान-सम्मान पाता है।’
प्रस्तुति : राजेश कुमार चौहान