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Kaal Bhairav Story: भगवान काल भैरव ने काले कुत्ते को ही क्यों बनाया अपना साथी?

Kaal Bhairav Story: भगवान काल भैरव ने काले कुत्ते को ही क्यों बनाया अपना साथी?
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चंडीगढ़, 10 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Kaal Bhairav Story: काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के रक्त से ही काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। दिलचस्प बात तो यह है कि काल भैरव का वाहन एक काला कुत्ता है। हालांकि काल भैरव कभी भी अपवे वाहन पर बैठे नजर नहीं आते लेकिन उन्हें सदैव एक काले कुत्ते के साथ दर्शाया जाता है।

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दरअसल, हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का वाहन उनके गुणों का प्रतीक होता है। भगवान काल भैरव स्वरूप उग्र है और कुत्ते को भी एक उग्र पशु माना जाता है। काला कुत्ता भगवान काल भैरव के उग्र और रक्षक स्वरूप के साथ-साथ तेज बुद्धि, वफादारी और सुरक्षा का प्रतीक भी माना जाता है।

कुत्ता अपने स्वामी के प्रति पूर्ण वफादारी दिखाता है। इसके अलावा कुत्ता बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है इसलिए इसे शनिदेव और भगवान काल भैरव से संबंधित माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि कुत्ता भक्तों का मार्गदर्शन भी करता है कि वह कैसे अपने जीवन में सुरक्षा और शांति प्राप्त ला सकते हैं।

काल भैरव ने काले कुत्ते को क्यों बनाया साथी

तंत्र शास्त्रों में काल भैरव को श्मशान निवासी बताया गया है क्योंकि वही उनका कर्म स्थल है। काल भैरव बाबा शरीर का नाश कर आत्मा को मुक्त करते हैं । वहीं, कुत्ता ना तो अंधेरे से डरता है और ना ही बुरी शक्तियों से । वह निडर होकर अपने दुश्मन पर हमला करता है इसलिए भगवान ने उन्हें अपना साथी बनाया। वह उनकी सवारी नहीं हैं, बल्कि उनके साथ चलता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काले कुत्ते को रोटी खिलाने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि घर में कुत्ता रखने से बुरी आत्माएं आस-पास नहीं फटकती।

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