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मानवीय दृष्टि का वैज्ञानिक

एकदा

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प्रथम विश्वयुद्ध वर्ष 1914 से 1918 तक चला था। अप्रैल, 1917 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रथम विश्वयुद्ध में प्रवेश किया। कुछ समय बाद अमेरिकी सेना को गेहूं के अभाव का संकट झेलना पड़ा। आखिर अन्न की कमी को कैसे पूरा किया जाए। ज्ञात हुआ कि टस्कगी स्कूल की प्रयोगशाला में शकरकंद के प्रयोग से डबलरोटी बनाई जाती है। वाशिंगटन कॉर्वर नाम के एक अफ्रीकी मूल के वैज्ञानिक ने मूंगफली एवं शंकरकंद से अकेले इन उत्पादों की खोज की थी। यह जानकर उन्हें सैनिकों की मदद के लिए बुलाया गया। वहां आकर जॉर्ज वाशिंगटन कॉर्वर ने शकरकंद से डबलरोटी, बिस्कुट, आटा बनाना सिखाया। उसने बताया कि यदि इसका निर्जलीकरण कर दिया जाए तो 100 पौंड शकरकंद का आटा एक छोटे से डिब्बे में रखा जा सकता है। इससे इसे दीर्घकाल तक हर विपरीत परिस्थिति में प्रयोग किया जा सकता है। प्रथम विश्वयुद्ध के समय जॉर्ज वाशिंगटन कॉर्वर के कारण ही संयुक्त राज्य अमेरिका के सैनिकों एवं वहां की जनता को भूख से मुक्ति मिली। जॉर्ज वाशिंगटन कार्वर एक ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने निर्धन लोगों को ऊपर उठाने के लिए कभी भी लुभावने प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया। वे जीवनभर निर्धन कृषकों की मदद के लिए ही प्रयोग करते रहे।

प्रस्तुति : रेनू सैनी

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