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Holika Dahan Pauranik Katha : होलिका दहन में क्यों डाली जाती है चंदन की लकड़ियां? भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ा कनेक्शन

Holika Dahan Pauranik Katha : होलिका दहन में क्यों डाली जाती है चंदन की लकड़ियां? भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ा कनेक्शन
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चंडीगढ़, 11 मार्च (ट्रिन्यू)

फाल्गुन के महीने में मनाई जाने वाली होली सिर्फ रंगों का फेस्टिवल ही नहीं बल्कि प्रेम व बुराई पर अच्छाई का संदेश भी देता है। वहीं, इस पर्व पर होलिका दहन की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। इसमें लोग इकट्ठा होकर अलाव जलाते हैं और चारों ओर घूमते हुए बुरे कर्मों व नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति की कामना करते हैं।

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ऐसा कहा जाता है कि होलिका की आग में सभी बुराईयां और मनुष्यों की कामवासना जलकर भस्म हो जाती हैं। होलिका दहन के लिए खासतौर पर चंदन की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों...

होलिका की आग में क्यों डाली जाती है चंदन की लकड़ियां

होलिका की आग में चंदन की लकड़ियां इसलिए डाली जाती है क्योंकि यह महक और शीतलता के लिए प्रसिद्ध है। होलिका दहन का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय को मनाना होता है। चंदन का इस्तेमाल इस प्रक्रिया में शांति और पुण्य के प्रतीक के रूप में किया जाता है। चंदन की लकड़ी जलने पर एक सुखद और शांति देने वाली खुशबू छोड़ती है, जो वातावरण को शुद्ध करती है। इसके अलावा, चंदन की लकड़ी के जलने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

भगवान शिव से जुड़ा कनेक्शन

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी, लेकिन वह कामयाब ना हो सकीं। चूंकि भगवान शिव माता सती के वियोग में संसार सुखों को त्याग दिया था और वह तपस्या में लीन रहने लगे थे। अंतत: माता पार्वती ने कामदेव से सहायता मांगी।

भोलेनाथ ने कर दिया था कामदेव को भस्म

तब कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या तोड़ने के लिए उनपर प्रेमबाण चला दिया और उनकी तपस्या भंग कर दी। मगर, इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख से कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया। इसके उपरांत भोलेनाथ की नजर माता पार्वती पर पड़ी, जिसके बाद उनका क्रोध शांत हो गया। तब उन्होंने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया।

कामदेव की जलन को कम करती है चंदन

भले ही माता पार्वती व भगवान शिव का मिलन हो गया हो, लेकिन रति ने अपना प्रेम और पति खो दिया। तब विरह से व्याकुल रति ने भगवान शिव से कामदेव को क्षमा करने की प्रार्थना की। भोलेनाथ ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। इसी कारण होली के कई लोकगीतों में रति विलाप के गीत भी मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन में चंदन की लकड़ियां डालने से कामदेव को जलन की पीड़ा से आराम मिलता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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