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Holika Dahan Katha : राक्षसी थी होलिका... फिर क्यों की जाती है पूजा, आप भी नहीं जानते होंगे ये कहानी

ऋषि के श्राप के कारण दैत्य कुल में जन्मीं राक्षसी होलिका
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चंडीगढ़, 13 मार्च (ट्रिन्यू)

Holika Dahan Katha : होलिका दहन एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से होलिका राक्षसी और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। होलिका दहन की पूजा का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बनाना है। इस पूजा में राक्षसों की देवी होलिका का स्मरण किया जाता है। हालांकि होलिका को राक्षसी माना जाता है, फिर भी उसकी पूजा के पीछे एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक कथा छिपी हुई है।

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होलिका की पौराणिक कथा

होलिका की पूजा का संबंध प्राचीन हिंदू मिथक से है, जिसमें राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद का वर्णन मिलता है। हिरण्यकश्यप एक दुष्ट राजा था, जिसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना किया था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे और उनकी पूजा में पूरी तरह से विलीन रहते थे। यह राजा हिरण्यकश्यप को बर्दाश्त नहीं था और इसलिए उसने अपने पुत्र को मारने के लिए अनेक प्रयास किए।

ऐसे हुआ होलिका राक्षसी का अंत

होलिका को एक वरदान प्राप्त था, जिसके अनुसार वह अग्नि में जलने से अछूती थी। इस वरदान का लाभ उठाते हुए हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोदी में लेकर आग में बैठ जाए, ताकि उसकी मृत्यु हो सके। होलिका ने इस आदेश का पालन किया। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद तो सुरक्षित बच गए और होलिका जलकर मर गई।

श्राप के कारण राक्षसी बनी थी होलिका

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में होलिका एक देवी थी लेकिन एक ऋषि ने क्रोध में उसे राक्षस कुल में जन्म लेने का श्राप दिया था। श्राप के कारण होलिका ने हिरण्यकश्यप की बहन बनकर दैत्य कुल में जन्म लिया। जब वह प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठी और जलकर भस्म हो गई तो उसे श्राप से मुक्ति मिल गई, जिसके बाद अग्नि भी पवित्र हो गई।

होलिका दहन पर उसकी पूजा क्यों की जाती है?

भले ही होलिका एक राक्षसी थी लेकिन उसकी मृत्यु बुराई के प्रतीक के रूप में मानी जाती है। होलिका दहन के समय उसका प्रतीकात्मक रूप से दहन किया जाता है। यह घटना यह सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, एक दिन अच्छाई की शक्ति से नष्ट हो जाती है। होलिका का पूजन उसे समर्पण करके उसकी नकारात्मक शक्तियों को शांत करने के लिए किया जाता है। यह एक तरह से "अग्नि देवता" को प्रसन्न करने और बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए की जाने वाली पूजा है।

होलिका पूजन उसकी नकारात्मक शक्तियों को शांत करने के लिए किया जाता है, जोकि एक तरह "अग्नि देवता" को प्रसन्न करने और बुरी शक्तियों का खात्मा करने की पूजा होती है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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