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Holi Celebration 2025 : बरसाने की गोपियों ने नंदगांव के हुरियारों पर खूब बरसाए लट्ठ, लाखों श्रद्धालु बने साक्षी; देखें तस्वीरें 

बरसाना में एक बार फिर द्वापर युग की वह होली साक्षात होती नजर आई
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मथुरा, 8 मार्च (भाषा)

Holi Celebration 2025 : उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना में गोपियों (महिलाओं) ने शनिवार को हुरियारों पर लट्ठ बरसाए जिसके साक्षी देश-दुनिया के श्रद्धालु बने। श्रद्धालुओं ने कहा कि बरसाना में शनिवार को एक बार फिर द्वापर युग की वह होली साक्षात होती नजर आई, जो कभी पांच हजार वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण और राधा के बीच खेली गई थी। ऐसे में देश-दुनिया के कोने-कोने से आए हजारों-लाखों श्रद्धालु इस होली के माध्यम से राधा और श्रीकृष्ण के पवित्र प्रेम से रूबरू हुए।

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राधारानी की गोपियों के रूप में गलियों में उतरीं बरसाना की हुरियारिनों ने कृष्ण सखा ग्वाल-बालों के रूप में नंदगांव से होली खेलने आए हुरियारों पर जमकर लट्ठ बरसाए। स्थिति यह थी कि बरसाना की रंगीली गली से लेकर समूचे बाजार में गुलाल और टेसू के रंगों की इस प्रकार बौछार हो रही थीं कि चहुंओर कोई और रंग नजर ही नहीं आ रहा था। संयोगवश 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' के अवसर पर आयोजित होने वाली बरसाना की लठामार होली यह संदेश देती प्रतीत हो रही थी कि पश्चिमी देशों को भले ही वर्तमान दौर में महिला को उसका सम्मान, उसका अधिकार दिलाने के लिए वर्ष में केवल एक दिन उनके नाम पर बिताना पड़ता हो, किंतु भारत भूमि पर तो युगों-युगों से नारी अपनी शक्ति को इसी प्रकार सिद्ध करती चली आ रही है।

यह महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण भी है। इस होली की शुरुआत एक दिन पूर्व बरसाना के राधारानी मंदिर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से आई उस सखी का लड्डुओं से स्वागत करने के साथ हो जाती है, जो बरसाना वालों को होली खेलने का न्यौता देने पहुंचती है। फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन नंदगांव के हुरियार पहले बरसाना कस्बे के बाहर स्थित प्रिया कुंड पर पहुंचते हैं। जहां उनका स्वागत ठण्डाई और भिन्न-भिन्न प्रकार की मिठाईयों से किया जाता है।

इसके बाद वे सभी हुरियारे बरसाना के गोस्वामी समाज के प्रमुख लोगों के साथ कुर्ता-धोती पहन, कमर में रंगों की पोटली और सिर पर साफा बांध, हाथों में ढाल लिए राधारानी के मंदिर पहुंच होली खेलने की अनुमति लेकर रंगीली गली, फूलगली, सुदामा मार्ग, राधाबाग मार्ग, थाना गली, मुख्य बाजार, बाग मौहल्ला और अन्य चौक-चौहारों पर पहुंच मोर्चा जमा लेते हैं। इसी प्रकार बरसाना की हुरियारिनें भी सोलह श्रृंगार का पूरी तैयारी के साथ, हाथों में लट्ठ लिए मंदिर से होकर नीचे उतरती चली आती हैं।

ऐसे में जब ग्वाल-बालों को रूप धरे हुरियारे उनके साथ चुहलबाजी कर उन्हें उकसाते हैं तो वे तरह-तरह की गालियां सुनाते हुए उन पर लट्ठ बरसाने लगती हैं। होली के मीठे-मीठे पदों के बीच लाठियों की मार से पूरा बरसाना गूंजने लगता है। हर तरफ से हुरियारों पर पड़तीं लाठियों की आवाज से तड़ातड़ झूम उठता है। ऐसे में भक्ति संगीत की रागिनी पर अबीर, गुलाल की बरसात से आकाश रंग-बिरंगा हो गया। लोकवाद्यों की तान सुन दर्शक भी झूम उठे।

इस होली का रंग इस कदर चढ़ा कि आम और खास व्यक्तियों में कोई फर्क नजर नहीं आ रहा था। जब नंदगांव के हुरियारों ने बरसाना की हुरियारिनों से हार मान ली तब उन्होंने अगले बरस होली खेलने का न्यौता देते हुए कहा, ‘लला, फिर खेलन अईयों होरी।' अंत में दोनों पक्षों ने लाडली जी के जयकारे लगाते हुए होली का समापन किया।

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